टॉलस्टॉय और गाँधी | Tolstay Aur Gandhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
428
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
दीनानाथ व्यास - Dinanath Vyas
No Information available about दीनानाथ व्यास - Dinanath Vyas
श्रीरुद्र नारायण - Srirudra Narayan
No Information available about श्रीरुद्र नारायण - Srirudra Narayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)् टॉल्सटॉय श्रौर गाँधी
उनके पापाचरण की श्रपेक्षा श्रधिक पापाचरण किया हे!”
बदद उस '्रपराघी की श्रपेक्षा जज तर जेल-रक्षक को शधिक
्यपराधी समसते थे । कम
2६... ्र ९
टॉल्सटॉय जिस घटना प्र विचार करते, उसमें इतने श्रोत-
.सोत होजाते, कि झपने अस्तित्व तक को भुला देते । वह जिस किंसी
तथ्य को लेते, उस पर झ्रपने निर्जी दृष्टिकोण से विचार करते ।
“रूढ़िवाद के तो वद्द भयड्डर शत्रु थे, चाहे वद्द सामाजिक संस्कारों
के रूप में हो, चाहे साहित्य के रूप में, चाहे संगीत के रूप में ।
किसी विचार की तल्लीनता कभी-कभी उनके लिए इतनी प्रबल
सिद्ध दोती कि वह उसके श्रावेश में कोई मयकझजर कार्य्य तक कर
बेठते । एक यार श्राप छत पर वैंठे थे । प्रकृति की शान्त शोभा
ने उन पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि श्राप छत पर से कूद
पड़े । उनका विश्वास था कि इन पक्षियों की भाँति आप भी
वायु में स्थिर हो सकेँगे तौर «इघर-उघर उड़ने. लगेंगे। पर
उड़ने तो न पाये, नीचे गिरकर ,खूब चोट खा गये।. इन्होंने
इसका वर्णन भी श्पने उपन्यास “युद्ध और शान्ति” में
“किया है।.. .
हें हि नर
कला क्या है ई--इस सम्बन्ध में वद्द पुराने शास्त्रियों के
मद के सबंधा विरुद्ध थे। 'कला” (छा 815 110 में उन्होंने इन
'शास्त्रियों की खूब खबर ली है । निरद्धेश्य रचना को वह कला
_ का परम-लदय मानने को तैयार न थे । झपनी पुस्तक में उन्होंने
User Reviews
No Reviews | Add Yours...