मध्य भारतीय भाषा - चयन | Madhya Bharatiy Bhasha Chayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
209
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८ मध्यभारतीय भाषाचयन
तथा कुछ अन्य अ्न्थ),; गाथा (पद्य भाग) उदान; इतिवुत्तक,
जातक (ये तीनों खुदक निकाय के अढठग-अढग प्रन्थ हैं) ।
अब्भुवधम्म (अतिमानवीय स्थितियों का वर्णन); बेद्छ
(कदाचित् वैपुस्य का थेरवाद-संबादी रूप) । पाँच निकायों में
विभाजन--दीघें; मज्िम; अंशुत्तर; संयुक्त एवं खुइक है । खुददक के
अन्वर्गत ही विनय एवं अभिघस्म बिटिक आते है । पर इन रोनों
विभाजनों की अपेक्षा अधिक प्रचढित और मान्य विभाजन तीन
पिटकों में हैं; सुत्त पिटक; विनय पिटक एवं असिधस्स पिटक |
सुत्तपिटक में पहले केवठ चार निकाय थे। यह बैस्तुतः सुत्त
या सुत्तान्तों का संकछन दे; जिसमें बुद्ध की वातांयें एवं उपदेश
निछते हैं । कहीं-कहीं वीच में इनमें छन्इ भी सिछते हैं । वस्तुतः
घम्म के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के छिए सुत्तपिटक ही
प्रमुख स्रोत है । विनय पिटक संघ के नियमों का संकढन है।
अभिघस्म पिटक थेरवाद सम्प्रदाय के दाशेनिक विचारों का
संकठन हैं ।
२.४--सुत्तपिटक में पहला निकाय दीघ निकाय कहछाता
है । इसमें सबसे छम्बे सुत्त संकछित किये गये हैं । इन सुत्तों की
संख्या ३४ है और ये तोन वग्गों में विभक्त हैं; सीठखंधवग्ग,
महावग्ग; पाटिकवग्ग । दूसरा निकाय है; मड्झिम निकाय जिसमें
मझखे आकार के सुत्त संकढित हैं । इसमें सम्प्रदाय के सुन्दरतम
अँश सन्निद्दित हैं । मज्सिम निकाय के सुत्तों की संख्या १५२ हे
और यह ५०-५० के तीन भागों में विभक्त हैं; मूढपण्णास ; मज्झिम
पण्णास और उपरि पण्णास ! तीसरा और चोथा निकाय
निश्चित रूप से ही बाद के पूरक संकठन हैं । इनका विस्तार भी
दीघ और मज्झिम निकाय की अपेक्षा ज्यादा है । संयुत्त निकाय
में सिढी-जुढी सामग्री है । इसमें सुत्तों की संख्या २८८९ हे और
' यह निकाय पाँच भागों में विभक्त है । अंगुत्तर निकाय (एकोत्तर
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