मध्य भारतीय भाषा - चयन | Madhya Bharatiy Bhasha Chayan

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Madhya Bharatiy Bhasha Chayan by वीरमणि प्रसाद उपाध्याय - Veeramani Prasad upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१८ मध्यभारतीय भाषाचयन तथा कुछ अन्य अ्न्थ),; गाथा (पद्य भाग) उदान; इतिवुत्तक, जातक (ये तीनों खुदक निकाय के अढठग-अढग प्रन्थ हैं) । अब्भुवधम्म (अतिमानवीय स्थितियों का वर्णन); बेद्छ (कदाचित्‌ वैपुस्य का थेरवाद-संबादी रूप) । पाँच निकायों में विभाजन--दीघें; मज्िम; अंशुत्तर; संयुक्त एवं खुइक है । खुददक के अन्वर्गत ही विनय एवं अभिघस्म बिटिक आते है । पर इन रोनों विभाजनों की अपेक्षा अधिक प्रचढित और मान्य विभाजन तीन पिटकों में हैं; सुत्त पिटक; विनय पिटक एवं असिधस्स पिटक | सुत्तपिटक में पहले केवठ चार निकाय थे। यह बैस्तुतः सुत्त या सुत्तान्तों का संकछन दे; जिसमें बुद्ध की वातांयें एवं उपदेश निछते हैं । कहीं-कहीं वीच में इनमें छन्इ भी सिछते हैं । वस्तुतः घम्म के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के छिए सुत्तपिटक ही प्रमुख स्रोत है । विनय पिटक संघ के नियमों का संकढन है। अभिघस्म पिटक थेरवाद सम्प्रदाय के दाशेनिक विचारों का संकठन हैं । २.४--सुत्तपिटक में पहला निकाय दीघ निकाय कहछाता है । इसमें सबसे छम्बे सुत्त संकछित किये गये हैं । इन सुत्तों की संख्या ३४ है और ये तोन वग्गों में विभक्त हैं; सीठखंधवग्ग, महावग्ग; पाटिकवग्ग । दूसरा निकाय है; मड्झिम निकाय जिसमें मझखे आकार के सुत्त संकढित हैं । इसमें सम्प्रदाय के सुन्दरतम अँश सन्निद्दित हैं । मज्सिम निकाय के सुत्तों की संख्या १५२ हे और यह ५०-५० के तीन भागों में विभक्त हैं; मूढपण्णास ; मज्झिम पण्णास और उपरि पण्णास ! तीसरा और चोथा निकाय निश्चित रूप से ही बाद के पूरक संकठन हैं । इनका विस्तार भी दीघ और मज्झिम निकाय की अपेक्षा ज्यादा है । संयुत्त निकाय में सिढी-जुढी सामग्री है । इसमें सुत्तों की संख्या २८८९ हे और ' यह निकाय पाँच भागों में विभक्त है । अंगुत्तर निकाय (एकोत्तर




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