विश्व इतिहास की झलक | Visva Itihas Ki Jhalak

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Visva Itihas Ki Jhalak by जवाहरलाल नेहरू - Jawaharlal Neharu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एर भागा से टूसरो भागा में पनुवाद फरना फठिन फाम है । कभी पुरा सतलब इस सर से अदा नहीं होसवता । फिर भी यह फाम तो करना ही होता है। इस अनु- वार सं एक योर भठिनाई पई । दम सबकी इच्छा थी कि यह बीच फी हिन्दुस्तानी भागा में हो, सो मे बडिन हिन्दी हो न फठिन उर्दू । हमें अपने देश में ऐसी हिन्दुस्तानी भाषा को घानू गरना है । शुर-पघुर में इसमें फाफी दिक्कतो का सामना करना पडता हू बोर दोनो त्तरफ फे साहित्पफार नारास होजाते है । ऐंतराज़ होता है कि यह क्या रोगली चोय हनन प[न्दी ने उर्दू । साहित्य के प्रेमियों से में माफी माँगता हूँ, लेकिन में समझना है फि बोस फे रास्ते पर चलकर हम एक मज़बूत भर जानदार साहित्य चोट लगेगी । लेफिन जलदी हो समय आयगा जब हम इस नई चीज़ की, जो आम जनता ने पद हो लौर उसीरी तरक देखें, शक्ति पहुचानेगे और उसके बढाने में लगेंगे । 206 -( | >रबर्दा_ जात नह. है । कांच कल | न्क्जै (ऊ




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