गांधी - अभिनन्दन - ग्रन्थ | Gandhi - Abhinandan - Granth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रास्ताविक गांधीजी (९४ ७ गांधीजी का धर्म छौर राजनीति सर सवंपट्ली राधाकृष्णन [ बाइसचासलर, .काशी हिन्दू-विदवविद्यालय, काझनी | भूतल णर मनुप्य-जीवन की कथा में सबसे वडी घटना उसकी आरविभौतिक सफलतायें अथवा उस द्वारा बनायें और विगाडे हुए साम्राज्य नहीं, वल्कि सचाई तथा भलाई की खोज के पीछे उसकी आत्मा की हुई युग-युग की प्रगति है । जा व्यक्ति आत्मा की इस खोज के प्रयटतो में भाग लेते हैं, उनको मानवी सभ्यता के इतिहास में स्थायी स्थान प्राप्त होजाता है । समय महान्‌ वीरो को, अन्य अनेक वस्तुओ की भाँति, बडी सुगमता से भुला चुका हैँ, परन्तु सन्तों की स्मृति कायम है । गाघीजी की महत्ता | का कारण उनके वीरतापुर्ण सघर्प इतने नहीं, जितना कि उनका पत्रित्र जीवन है, और यह भी कि ऐसे समय मे जवकि विनाग की बक्तियाँ प्रवल होती दीख रही हैं, वह आत्मा की सृजन करने तथा जीवन देने की गक्ति पर ज़ोर देते है । राजनीति का धार्मिक छाधार ससार मे गाधीजी की यह ख्याति हैं कि भारतीय राप्ट्र के प्रचण्ड उत्थान का और उसकी दासत्ता की गुखलाओ को हिला डालने तथा शिथिल कर देने का काम एक उन्हीने अन्य किसी भी व्यक्ति की अपेक्षा अघिक किया है । राजनीतिन्न लोग जामतौर पर धर्म की गहराई में नही जाते । वयोकि एक जाति का दूसरी जाति पर राजन तिफ आाधिपत्य और निर्धन तथा निर्वेल मनुष्यों का माधिक थोपण आदि जो लक्ष्य राज- नीतिज्ञनो के सामने रहते हैं, वे धार्मिक लक्ष्यों से स्पप्ट ही इतने भिन्न तथा असम्बद्ध हे कि वे लोग इनपर गम्भीरता से जौर ठीक-ठीक चिन्तन कर ही नहीं सकने । परन्तु गाघीजी के लिए तो सारा जीवन यहा से वहाँ तक एक ही अभग वस्तु है । “जिसे सत्य की सर्वव्यापक विष्व-भावना को अपनी आँस से प्रत्यल देखना हो उस निम्नतम प्राणी को आत्मवत्‌ प्रेम कर सकना चाहिए । और जिस व्यविन की यह महत्वाकाला होगी वह जीवन के किसी भी क्षेत्र से अपनेकों पृथक नहीं रख सकेगा । यहीं कारण है कि मेरी सत्य-भक्ति मुझे राजनीति के क्षेत्र मे खीच लाई है, और में बिना ननिक भी




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