समझौता | Samjhota
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
इस्मत चुगताई - Ismat Chugtai
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ख्वाजा अहमद अब्बास - Khwaja Ahamad Abbas
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अहमद भाई सूरत वाला, दूसरे दिन झाये। कोई पंतालीस साल उम्र;
मेला पायजामा, कत्थई 'श्रचकन,रूमी टोपी पहने 1-'.. «
उन्हें देखकर. बेगम धवक - से रह गयी ।' सोचा--मेंहुदी की जगह यह
अल्लाह का बन्दा ख़िज़ाब लगाये तो इतेना भोंडा न लगे ।
अहमद भाई एक नेकूलिस लाये थे, जो उन्होंने मासूमा को दे दिया ।
'ऊ हम नही लेते ।” मासूमा ठुनकने लगी ।
“क्यों जी ?” श्रहमद भाई पान भरे दात निकोस कर बोले !
“क्यों से ?”*”*हमें नही भ्रच्छा लगता ।””
न, “नई श्च्छा लगता तो दूसरा लायेंगा वाबा 1”
*' “हम दूसरा भी नहीं लेंगे ।” मासुमा खिलखिलाकर हंसी श्रौर कमरे से
बाहर भाग गयी ।
अहमद भाई इस श्रदा पर लोट-पोट हो गये |
* ग्राज 'छोकरी ,को जोह ले जावे ? जरा तुम वोली न ।”” उन्होंने ठुनक
कर एह्सान साहव के कान में कहां 1
“अम्मा जरा लगीमें दाव के, हां !' वरना यार, सारा मसला चौपट हो
जायेगा 7 रह. ' 2)
“साला पैसा ज्यास्ती मागता तो वोई वात नही” हम ' देगा बाबा !
श्रहमद भाई विलविलाये'। हर फ
“ग्रे यार पैसे की बात नही । ऊंचे घराने की लौडियां है'”'सलोना बरसे
लगा है। ' किसी में श्रांज तक छसेकां श्रांचल भी नहीं देखा । इतनी तावली
नहीं चनेगी, जल्दी का काम शेतान की ।”” एहसान ने' सर्मसीधा ।
मो पर जब वेगंम को एहसोन मिया की दल्लाली का पता चला तो उनकी ”
सूखी झखों में शोले भड़क उंठे 1
17 । “सूरत रतो देखो झडेसे की मेरी नाजुक-सी वच्ची को 'बस, यंहू कीड़ों
भरा कबाब ही रह गया है, मुझा कल की सौंडिया से शादी करेंके दाडी '्कों
कालिख लगवायेगा ।” 4 हवा रची शाइन 1 किदसय
11 मगर दड़ी मीठी जदान में एड्सान मियां मे “समझाया कि अहमद भाई
ऐसे कमीने नही, जो निकाह करने की गुस्ताखी करें1: निकाह ती «हूँ .कर सी
नहीं' सकते; उनके ' सैसुर बडे :अंसर वाले:्रादमी हैं,? चंदिया;फर छुक बाल
के
श्प दो वि जा उमाामाय
सेमसीता | 35
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