कहते हैं जिसको इश्क | Kahate Hai Jisko Ishk

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kahate Hai Jisko Ishk  by ख्वाजा अहमद अब्बास - Khwaja Ahamad Abbas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ख्वाजा अहमद अब्बास - Khwaja Ahamad Abbas

Add Infomation AboutKhwaja Ahamad Abbas

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ˆ मैं सपककर उठा और गाड़ी से नीचे उत्तर भागा 1 और मैंने देखा, प्लेटफार्म पर सामने ही वह ঈতী है--दुनिया की सबसे सुंदर नारी । ह नहीं, यह यह मही है । उसकी रंगत ठो पक गहूं कौ तरह सुनहरी थी भौर यह জী ऐसी काली है, जेंसे काला तवा । भयर है मह भो दुनिया. की सबसे सूवसूरत भ्ौरत। इसकी मुम्कराह्ट मे भौ वही मनमोहक छटा दै, इसके भयगुते हठ भी सी तरह भरपूर मुहत्वत से रंगे मावूम होते हैं 1 इसकी प्रांसों मे भी चमके है। इसकी गोद में एक वच्चां है, गिसे यह झपनी सूवसूरत चिकनी कालो छाती से दुध पिला रही है । भौर इसकी नज़रें मुस्करा- मुह्कराकर एक लवे-लवबे वालॉवाले काले रंग के नौजवान को देख रही हैं, जो इसके पास बैठा बीडी थो रहा है। उसके चारों तरफ उनन्जसे और कितने ही रेल की सडक वनानेवाले मजदूर, उतकी बीविया भौर बच्चे वेढे दै, भोर उनका परेलू सामान विखरा पड़ा है--टठीन के पनत्तर भ्ौर वोरिया शौर घड़े । और उनके काम करने के श्रौजञार भी पडडे हैं--डुंदालें भर फावड़े भौर पत्थर ढोने की टोकरियाँ। और ` उन सबके वीच में थे दोनो वेठे हैं->दुनिया की सबसे सूचमूरत भौरत और दुनिया का सबसे खशकिस्मित नौजवान । एक-दूसरे की भांस़ो मे आंखें डालकर वे देख रहे हैं। मुस्करा रहे हैं। भाष-ही-भाष ईंस रहे हैं । उनके दात सुवह्‌ कौ सूनरी धृष मेँ अपक रहे हैं। भोर उतकी भाखें नाच रही हैं घोर उनके चारो शोर भुहृब्बत की किरणों का एक थेरा है, जो सिर्फ मेरी निगाहे देख सकती हैं । प्रौर उतके सूरज से तपे हुए, मेहनत से यठे हुए, प्यार से तमतमाते हुए सुझेत जद़ात जिस्मों में वह हुस्त कौंध रहा है, -जो किसी ड्राईग- रूम में, किसी किस्म रूटूडियो मे, किसी होटल रौर रेच्वसं मे न्र्‌ नहीं ৩৩০২ १७ `




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now