अद्वैत वेदान्त के विभिन्न सम्प्रदायो में साक्षी का स्वरूप और कार्य | Adwait vedant ke Vibhinn samprdayo me sakshi ka swarup aur karya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Adwait vedant ke Vibhinn samprdayo me sakshi ka swarup aur karya  by रंजय प्रताप सिंह - Ranjay Pratap Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रंजय प्रताप सिंह - Ranjay Pratap Singh

Add Infomation AboutRanjay Pratap Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अंग हैं।' ऋग्वेद के तृतीय मण्डल में भी अद्वैतवाद की प्रवृत्ति स्पष्टतया दृष्टिगोचर होती है, जिसमें यह कहा गया है कि एक ही, जो विश्व है अर्थात्‌ सब कुछ है, इस चराचर तथा उड़ने वाले समस्त जगत का स्वामी है- एकदृद्युवं पत्यते विश्वमेकं चरत्पतत्रिविषुणं विजातम॒/” इस मंत्र में दो पद **'एकम्‌ू”” और “'विश्वमु” इस तथ्य को प्रकठ करते हैं कि वह मूल तत्व *एक* है तथा *सब कुछ वही है। इसके अतिरिक्त तृतीय मण्डल में ही एक पूरा 22 मंत्रों का सूक्त* है, जिसमें प्रत्येक मंत्र के चतुर्थ चरण में यह ध्रुवपद आया है कि. *महदुकेवानामसुर्त्वमेकमू* जिसका अर्थ है देवताओं के अन्दर विद्यमान बल या सामर्थ्य एक ही है। इस प्रकार यह पूरा सूक्त ही देवताओं के एकत्व को प्रतिपादित करता है। ऋग्वेद में नासदीय सूक्त का अपना विशेष महत्व है। यह सूक्त दार्शनिक गम्भीरता का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें नवीन परिकल्पना के साथ अद्वैतवादी दृष्टि परिलक्षित होती है। यह सूक्त गूढ़ सहस्यमयी आध्यात्मिक चिन्तन धारा का परिचायक है। इस सूक्त में सृष्टि की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अत्यन्त सूक्ष्मता से विचार किया गया है। इसलिए यह सूक्त “सृष्टि सूक्त” के नाम से भी जाना जाता है। नासदीय सूक्त में कुल सात मंत्र है। सूक्त में ऋषि कहते हैं कि-'नासयदासीन्नो-सदासीत तदानीं ... नारा वा न वेद/ इस प्रकार नासदीय सूक्त के तीन भाग हैं तथा ये तीन स्थितियों में प्रबलतम रूप में अद्वैत तत्व का बोध कराते हैं। प्रथम भाग में इस सृष्टि के पहले की स्थिति का वर्णन है। उस अवस्था में सत-असत्‌, मृत्यु-अमरता, अथवा यात्रि-दिवस कुछ भी नहीं ! सहाधार्यादृदेवताया एक एवात्या बहुधा स्तूयते। एकस्थत्मनोजन्ये देवा प्रत्यड़गानि थवन्ति // निक्क्त 7-4 * तऋरवेद 3./54./8 १ ऋग्वेद 3.55 * जवालेसा नत /नग्िफ /नना




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now