विश्व की कहनी | Vishw Ki Kahani

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Vishw Ki Kahani  by कृष्ण बल्लभ द्विवेदी - Krishn Ballabh Dwivediश्री नारायण चतुर्वेदी -Shri Narayan Chaturvedi

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श्री नारायण चतुर्वेदी -Shri Narayan Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हे उतने ही श्रायतनवासे पानी का वज़न “से उनका श्रायतन श्ासानी से नहीं है। इस सम्बन्ध में एक मनोरझ्क मेसें पानी की श्रपेक्षा बहुत ही हल्की होती हैं, अत गैवों के घनत्व की ठलना हवा के घनत्व से करते हैं ।. हवा के घनत्त्र को पैमाना मानने पर अन्य गैठों का ्ापेक्षिक घनत्व निम्न लिखित तालिका के श्रनुसार आता है-- त्ाक्सिजन ११ नाइट्रो जन ० ६७ काबन डाइश्राक्साइड प्र ब्मोनिया गैस ०६२ डोजन ००६६. ज्यामिति की किसी नियत श्ाकृतिवाले ठोस पदाथ क पेक्षिक घनत्व निकालना झ्ासान है, क्योंकि रेखा-गशित के सिद्धान्तों से हम बिना प्रयोग के उसका झायतन निकाल सकते हैं श्रौर तराज़ू पर उसका वज़न भी निकाल सकते हैं । फिर मालूम करके उस ठोस पदार्थ के वज़न को पानी के वज़न से भाग देकर आापे- लिक घनत्व की संख्या हम मालूम कर सकते हैं| किन्तु अनेक वस्तुएँ बेडौल श्राकार की हुमा करती हैं । ज्यामिति की मदद निकाला जा सकता । ऐसी दशा में एक. विशेष प्रकार के बड़े गिलास ““ग्रेजुएटेड जार” में पानी भर सोते हैं। इस गिलाम की दीवाल पर निशान बने हुए होते हैं, जो भीतर का झआयतन बताते हैं । तब उस चीज़ को इस पानी में डुबो देते हैं । ऐसा करने से पानी ऊपर चढ़ श्राता है । अब इस नये झ्ायतन में से पहले का श्रायतन घटा देने पर उस चीज़ का श्रायतन निकल श्राता घटना का उल्लेख हम यहाँ कर देते हैं। प्रसिद्ध श्राविष्कारकत्ता एडिसन (रिताडणए ने एक बार एक इल्लि- यदि एक ही बोतल में। पारा तेल और अल्कोहॉल भरे. जायें तो श्रपसे- नियर से पूछा कि झंमुक बिजली के बल्ब के भीतर का झ्रायतन कितना है १ बेचारा इल्लिनियर तीन-चार दिन तक द्रचिपदाथ का असम घनत्व बल्ब का श्राकार नापने. और गुणा भाग करने में लगा रहा | फिर भी वह ठीक. श्रायतन न निकाल पाया | एडि- च सन ने फौरन उसके हाथ से बल्त लिया आर उसमें पानी भर दिया । फिर पानी को एक नांपने के गिलास, उंडेल दिया, श्र पानी का झ्ायतन उस गिलास में लगे निशान की मदद से पढ़ लिया | व पदार्थों का श्रापेक्िक घनत्व निकालने के लिए. सधिकतर घनत्ववाली बोतल का प्रयोग करते हैं । इस प्रयोग में झायतन नापने की ज़रूरत नहीं पड़ती । तराज़ पर पहले खाली बोतल तौल लेते हैं । फिर दिये हुए द्रव पदार्थ को उसमें मुंदासुद भरकर तोलते हैं। इस वज़न में से. बोतल का वज़न घटा देने से द्रव पदाथ का वजन निकल आता है | श्रब बोतल को खाली करके श्रौर पानी से मर च कर फिर वज़न लेते हैं । पानी से भरी बोतल में से खाली बोतल का बज्न घटाकर पानी का वज़न मालूम कर. लेते हैं। इस तरह समान झ्ायतन- वाले पानी श्ौर द्रव दोनों का वज्ञन सहायता से मालूम किया जा सकता है । लो--अब जल से भरी हुईं बोतल श्रौर वज़न निकाल लो। फिर बोतल को उठाकर मेज़ पर रक्‍्खो, और उन छरों बोतल के बाहर बहकर गिर जायगा | पहले की झ्पेक्षा श्रब वज़न कम होगा । पानी, वाले पानी के वज़न से भाग देते हैं श यह कमी उस पानी के वजन के बराबर. होगी, जिसका आयतन, छंर के बराबर है । छरें का वज़न मालूम ही है, अतः. इसका आपेक्षिक घनत्व निकालने के . अपने आपिक्िक घनत्व के अनुसार वे इसी लिए इसके वज़न में समान श्ायतन- तरह कृपर-नीचे हो जायेंगे । मालूम हो गया | इन्हीं का श्रनुपात हमें आआपेत्तिक घनत्व बतलाता हैं। . नन्हैं-नन्हें कण या बुकनी वगैरह का श्रापेक्षिक घनत्व भी इस बोतल की पहले बोतल को जल से लवालब भर उन नन्हें-नन्हें छुरों को तराज़ू के पलरे पर एक ही साथ रख दो, श्रौर उनका. को बोतल के भीतर डालो | ठीक छुरें के श्रायतन के बराबर ही पानी अब . बोतल को अब फिर तौज्ञो । निस्सन्देह




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