उत्तर - प्रदेश के सामाजिक - सांस्कृतिक विकास में पत्रकारिता का प्रभाव | Uttarpradesh Ke Samajik Sanskritik Vikas Men Patrakarita Ka Prabhav

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Uttarpradesh Ke Samajik Sanskritik Vikas Men Patrakarita Ka Prabhav by वीर सिंह - Veer Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कला के दि पर ध्यान दिया था आर पूना के कई लॉग को इसके लिये राजकीय सहायता दिलायी थी किन्तु राजनी तिंक कार्यो मैं व्थ कारण नाना फड़नवीस इस और अधिक ध्यान नहीं दे सका । उसकी अभिलाधा को बाद मैं श्रीमंत मिरजकर नामक शक सामन्त ने पूरा किया मुद्रण्ण कला के घिकास के ताथ ही 29 जनवरी, 1780ई0 को कलकत्ता जेम्स आगस्टस हिक्की ने * बंगाल गजट ” नामक साप्ताहिक पत्र 1नक जिते हिधकी गजट मी कहा जाता है । इसे आधनिक भारत का' पहला समायधार पेन कहलाने का ब्रेय प्राप्त है 1 1790ई0 मैं बम्बई में * वा म्वे गजट * नामक पत्र पुकाशिवत होने लगा । 1812ई0 मैं बम्बई में शक पारी सज्जन फरदून जी मर्दबान दस्तूर ने रुक प्रेत खोला । उन्होंने 10 वर्ष बाद इती परत हे ” मुंबई समाचार ” नामक पत्र पुकाशित किया जितका' प्रकाशन अभी भी हो रहा हैं | बम्बई में मुद्रण्ग कला के विकास में अमरीकी ईताई मिशानशियों ने काफी महत्वपूर्ण भ्रूमिका निभाई । उन्होंने देशी और अंग्रेजी भाघा के टाइप तैयार कराये तथा इंग्लैन्ड हे छपाई की सशीने मंगाकर मुद्रण को आगे बढाया । अमहीकी भिशनशियोँ ते पेरण्णा लेकर अम्बई में गणपति कृष्णा जी ने चिकसित ठँग का छापाछाना' खोला और 183180 मैं पहला पंचांग मुद्रित करके अमरीकी मिशनहियाँ की बराबरी कर ली । गण्यपत्ति कृष्ण्य जी की सफलता ते प्रॉत्ताहित हॉकर जावजी दादा जी, टामत गाहय तथा राणँजी रावजी ने विभिन्‍न पुकार के टाइप का निर्माण शारू करके मारतीय मुद्रण कला के इतिहात मैं हक नया पृष्ठ जोड़ दिया । उत्तर प्रदेश हसंवुक्त प्रात) में पहला हापाछाना बरेली मैं शक ईताई मिशिनरी नार्यन मेस ने लगाया! । उतके पश्चात 1855 ईँ0 तक न्टड अलीगढ्ू, मेरठ, बनार्त तथा आमरा में छपाई का' काम




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