नानेश वाणी | Nanesh Vani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समता गिझर/9
स्कूल कालेज मे पढने वाले युवा लोगो मे से कोई खानेवाले हो तो आपका कर्तव्य
है कि उनको समझावे- सतो के सपर्क मे ला कर उनका समाधान करावे। आज
के युवा लोगो की समझ मे यह बात आ जायेगी तो वे मन से स्वत इसको छोड
देगे। वे इस बात को समझ लेगे कि कौन-सी गलत चीज है और कौन-सी सही |
मैं समझता हू कि आज के युवक जिज्ञासु हैं । वे चाहते हैं कि उनको सही रूमाधान
मिले | सही समाधान नही मिलने से वे विकृतमार्ग पार चले जाते है । आप समता
तभी अपना सकेंगे जब कि आप अपनी दृष्टि को समतामय बनायेगे । इसके लिए
आप खान-पान और व्यवहारिक रूप मे परिवर्तन लावे |
झूठ नही बोले चोरी नही करे चोरी करने का तो प्रश्न ही नही है।
ब्रहमाचर्य का पालन पूर्ण नहीं कर सके तो परस्त्री का त्याग करे और स्वस्त्री के
साथ मर्यादा रखे |
परिग्रह को पाप का मूल माना है। परिग्रह हिसा को बढाने वाला है। इन
पाचो महाव्रतो के कारण ही अहिसा धर्म धरा पर टिका है। जो हिसा करेगा वह
अहिसा का पालन नहीं कर सकता है जो हिसा करता है वह सत्यादि ब्रतो का
पालन भी कैसे कर सकता है? परिग्रह रखनेवाले भी पूर्ण अहिसा का पालन नहीं
कर सकता | श्रावक परिग्रह रखते हैं । इसलिए वे देशब्रती के वर्ग मे आते हैं लेकिन
हम सत-सती वर्ग पूर्ण रूप से अपरिग्रही होते हैं। हमारा छोटे से छोटे क्षेत्र मे और
बडे से बडे क्षेत्र मे रहने का प्रसंग आता है । यदि हम इस परिग्रह के प्रपच मे पडेगे
तो साधु मर्यादा का पालन नहीं कर सकेगे | दृष्टात के तौर पर हम चदा वसूल
करने बैठ गये तो हम इसके कारण हिसा भी कर रहे हैं । और इस प्रकार अपने
महाबव्रतो को भी सुरक्षित नहीं रख सकेगे इसलिए सत्त सतीवर्ग से ऐसे हिसक कार्य
नहीं करावे।
ध्वनिदर्धक यत्र बनाम मुनि मर्यादा
कभी-कभी श्रावक श्राविकाए कहते हैं कि भगवान महावीर का सदेश
अधिक लोगो तक पहुंचाने के लिए हमे माइक का प्रयोग करना चाहिए । लेकिन
जहा माइक चलता है वहा (विद्युत) अग्िकायिक जीवों की हिसा होती हे | यदि
हम हिसा करके उपदेश देगे तो हमारा अहिसा ब्रत कैसे स्थिर रहेगा और फिर
हमारा चातुर्मास करने का क्या अर्थ होगा? भगवान ने आचारग सूत्र की पहली
देशना मे अहिसा का प्रतिपादन किया है। हमारा धर्म तभी ठहर सकता है जब
कि हम हिसा का त्याग करे | पृथ्वी पानी अग्नि वायु और वनस्पति के जीवों की
रक्षा करे | विद्युत का प्रयोग करके यदि हम उपदेश देगे तो क्या हम भगवान की
आज्ञा का पालन करेगे? यह हमारा ब्लैक करके उपदेश देना तो नहीं होगा।
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