राजस्थान के इतिहास के प्रमुख स्त्रोत | Rajasthan Ke Itihas Ke Pramukh Strot

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Rajasthan Ke Itihas Ke Pramukh Strot  by एस॰ एल॰ नागोरी - S. L. Nagori

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ये सूपी ऋषि का शिलालिस (1428 ई ) हि करों यह लेख 1428 ई का है, णो उनलिंगनो सै+ (भव र्लेकिफ श गीऋषि नामव स्थान पर लगा हुंध्रा है। इस का रचियता 'केविसान-वरणी विद र योगीश्वर था । इसको खोदने वाला पन्ना नामव व्यक्ति था, जो हादा पा पुत्र था । इसका कुछ भाग सण्डित हो गया है । ऐतिहासिक महत्व (0 इससे पता चलता है कि हम्मीर ने जीलदाडे को जबरदस्ती छीन लिया तथा पालनपुर को नप्ट घ़प्ट कर दिया । इसके भतिरिक्त उसने भीलों के साथ भी सफलतापूवक युद्ध लडे एव उसने श्रपने शत्रु जेत्र को भी मौत के घाट उतार दिया 1 (00 यह लेख सक्ष्मणसिंह भौर क्षेत्रसिह द्वारा गया मे मारो के निर्माण करवाने तथा उनकी दानवृति पर प्रकाश डालता है । 8 समिधेश्वर के मदिर का शिलालेख (1428 ई ) यह लेख 1428 ई था है। इसका रचियता एकनाथ था जो कि दशपुर जाति के भट्टविष्णु का पुत्र था। इसका लेखक वीसल था भौर मा के पुत्र गोविद ने ्क्ति किया था । ऐतिहासिक महत्व (0 यह उस समय के शिल्पिया के परिवार पर प्रकाश डालता है 1 (ण) इससे पता चलता है कि विष्णु के मा दर का निर्माण मोकल के द्वारा करवाया गया था । (0) महाराणा लाता (लदमणसिंह) ने भोटिंग भट्ट जैसे विद्वानों को उदारता- पूब प्राश्चय दिया था । 9 राणकपुर प्रशहिति (1439 ई ) यह लेख राणक्पुर के जैन चौमुख सदिदर मे लगा हुश्रा है धीर 1439 ई म लिपिवद्ध किया गया था । ऐतिहासिक महत्व (0 इससे पता चलता है कि सुत्रघार दीपा ने राणुकपुर के माददिर का निर्माण करवाया था 1 (0 इससे हमे बापा से कुम्भा तब की वशावली के बारे मे जानकारी प्राप्त होती है । इस वशावली म महेद्र एव श्रपराजित श्रादि कई शासकों के नास नहीं है। इसी प्रकार यह लिखना कि बापा गुहिल वा पुत्र था, सही नही है । इतनी भूलें होने पर भी यह लेख महाराणा दुम्भा की उपलब्धियों पर प्रकाश डालता है । इससे पता चलता है कि कुम्भा ने बुदी, गागरोन, नागोर, सारगपुर, चाटसू, श्रजमेर, मण्डोर भौर कुम्मलगढ़ श्रादि प्रदेशों पर विजय प्राप्त की थी 1




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