तत्वार्थदीपिका खंड 1 | Tatvathradepika khand 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुन संख्या पहला अध्याय पछ्ट
श्४
२९ च्षयोपशम निभित्त: पढू विकल्पः शेषाशायू । १०३
२३ ऋज़ु चिपुलमती मन: पयंय: । १०४
४ विशद्ध'धप्रतिपाताभ्यां तद्धिशेष - २१४
२४ विशद्धि क्षेत्र स्वामि विषयेभ्योडचधिमन: पययोः ।. ११३
१६ मति श्रतयोर्निचन्धो द्रउ्येष्व सबंप्यायेष । ११७
२७ रूपिष्व बधघे ११६.
र८ तदनन्त मागेमन: पर्ययस्य । ११६.
२६. सब द्रव्य पयायेप्रकंबलस्य | श्२०
३०. एकादीनि भाव्यानि यगपदेक रिमस्नाव तुभ्यं: श्र
३१. सतिश्रतावधया विपयश् | श्र४
३२. सद्सतोरविशेपाद्य टच्छोपलब्धेसन्मनवत् । १३०
३३ नेगम संप्रह व्यवहारजुसन्रशब्द समभिरुढवस्भतानया: १३४
हर जा
इति तत्वाधाधिंगमे मोक्षशाख्त्रे प्रथमों 5ध्याय:समाप्र:(१) १४४
दूसरा घ्ध्याय ॥२॥
च्ौपशमिक त्ायिको भावों मिश्रशच जीवस्यस्वतत्व
मौदयिक पारिणामिकी च । १४६
द्विनवाएादशेक विंशत्ति तिभेदा यथाक्रममू । १६०
सम्यक्त्व चारित्रे । १६०
ज्ञान दुशन दान लाभ भोगोपभोग वीरयाणि च । श्द४
ज्ञानाज्ञान द्शनलब्ध यश्वतुश्मित्रिपं च भेद: सम्यक्त्व चारित्र
संयमासंयमाश्च । १६८
गति कषाय लिंग मिधथ्यादशना ज्ञाना संयतासिद्धलेश्याश्वतु-
श्चतुख्रये केकैकैक पड़ भेदा: । १७२
जीव भव्याभव्यत्वानि च । १८०
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