देवकी का बेटा | Devki Ka Beta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
175
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न दि
देखा सुभद्रा थी । सहमी दुईं । श्रॉँखों में पानी डबडबाया डुश्रा ।
यशोद ने कहा : श्राजा दुद्दितर !
सुभद्रा पास श्रागई । यशोदा ने गोदी में बिठाली । क्या दुश्रा ? श्रम्ब
ने तुमे मारा है ?” यशोदा ने रोचना की श्रोर देखकर पूछा ।
हाँ,” सुभद्रा ने सिर हिलाया । श्राँखों से मोती ढुलक पढ़े । यशोदा ने
पोछे । फिर भी बालिका का फूले फूले गालों वालो रूठा रूठा मुँद । यशोदा
ने देखा तो प्यार से चूम लिया । रोचना ने कद्दा पूछो इससे । रोई क्यों दे !'
कया बात हुई !” कृष्ण ने सुभद्रा से पूछा । बच्ची ने लजा कर यशोदा
की गोदी में सिर छिपा लिया |
यशोदा ने रोचना को देखा । रोचना कहने लगी : चोर के घर चोर ही
तो रहेगा ।
रोचना की छोटी श््रौरस पुत्री सुभद्रा ने सिर श्रीर छिपा लिया । यशोदा
मुस्कराईं । रोचना कहती गई : कुशवाद्दसमन्त गोप के घर से बिटिया मक्खन
चुरा लाइं थी । मैंने श्रभी पीटा था सो भू ठ बोल बोल कर रो रो कर श्रपनी
सचाई को दुद्दाई दे रही थी । बताश्रो ! भू ठ बोलना श्राता दे इन बच्चों
को ? समभते हैं कि बड़े कुछ समभकते नहीं । मुँह में मक्खन लगा है श्रौर
कहती है कि मैंने कल से ही नहीं खाया ।
सब खिलखिला कर हँस पड़े । सुभद्रा ने एक बार चंचलता से कनखियां
से देखा श्रौर फिर शर्मा कर गोद में सिर छिपा लिया ।
क्या हुश्रा तो ?” यशोदा ने कहा : “ये बेठे तो हैं मद्दाराज सामने ।”
उसने कृष्ण की श्रोर इशारा किया, “ये ही क्या किया करते थे पहले ??
परे ये !” भीतर से किसी ब्द्ध ने कहा : “ये तो पूरा श्रसुर था । इसे तो
यशोदा पेड़ों से, ऊखल से बाँध देती थी ।?
सब फिर हेँसे । कृष्ण लजा गया, सुभद्रा ने मुँद निकाल लिया । व
मुस्कराने लगी । वृद्धा ने कहा यमल श्रौर श्रजु न यक्ष बद्ां न होते तो यद्द तो
रो रो कर जाने क्या कर देता ! उन्होंने बताया कि पेड़ों तक ऊग्वल खींचकर
ले गया श्रोर श्रटक गया है । बिचारे श्राये । नन्द ने उन्हें कितनी मेंट दी |
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