मैकबैथ | Maikbaith

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Maikbaith by रांगेय राघव - Rangeya Raghav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अंक १५ तीसरी डाइन अरे, तकक्‍कारा, सुनो, नककारा बज रहा है। लो वह मैकवैथ आ गया । सभी ओ ससुद्र की लहरो पर और पृथ्वी पर तेज़ चलने वाली डाइन बहनो ! ग्राग्नो, म्रापस्मे हाथ मिला कर हम चारो तरफ नाचे । तीन नार तुम, तीन बार मै और फिर तीन वार वह इस तरह नौ वार एक चक्कर बनाये । शान्त | जादू का चक्‍कर अब पूरा हो गया है। [ संकवेथ तथा वेको फा प्रवेश | मेकवेथ * इतना बुरा रौर इतना ही...अज्छा. द्विन मेते अपने जीवन में कभी नही देखा, बेको : फोरेस यहाँ से कितनी दूर कहा जाता है ? पर है, ये पतले और अजीब से कपडे पहने कौन है ? ये तो पृथ्वी पर रहने वाले प्राशियो जैसी तो नही लगती फिर भी पृथ्वी पर है। क्या आइचर्य्य है क्या तुम कोई जीवित प्राणी हो ? या कोई ऐसी चीज़ हो जिस पर मनुष्य को शक करना चाहिये ? अश्रपनी फटी उँगली जिस तरह तुमने अपने ओठ पर रख ली है उससे मालूम होता है कि तुम मेरी बात समझ रही हो | अवश्य तुम कोई स्त्री हो, पर हैं. * फिर तुम्हारी दाढ़ी देखकर मे कैसे कह दूँ कि.तुम.स्त्री-हो । मेकतेय अगर तुम बोल सकती हो तो बोलो, कौन हो तुम ? पहली डाइन : तुम्हारा स्वागत है मेकवेथ । श्रो “ग्लेमिस” ঈ খন! हम सब की ओर से तुम्हारा स्वागत है । दूसरी डाइन ओ काउडोर के थेन मैकवेथ ! हम सभी की ओर से तुम्हारा अभिनन्‍दन है। तीसरी डाइन : स्वागत है उस मैकबैथ का जो अ्रव सम्राद बनने जा रहा है।




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