देवकी का बेटा | Devki Ka Beta

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Devki Ka Beta  by रांगेय राघव - Rangeya Raghav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न दि देखा सुभद्रा थी । सहमी दुईं । श्रॉँखों में पानी डबडबाया डुश्रा । यशोद ने कहा : श्राजा दुद्दितर ! सुभद्रा पास श्रागई । यशोदा ने गोदी में बिठाली । क्या दुश्रा ? श्रम्ब ने तुमे मारा है ?” यशोदा ने रोचना की श्रोर देखकर पूछा । हाँ,” सुभद्रा ने सिर हिलाया । श्राँखों से मोती ढुलक पढ़े । यशोदा ने पोछे । फिर भी बालिका का फूले फूले गालों वालो रूठा रूठा मुँद । यशोदा ने देखा तो प्यार से चूम लिया । रोचना ने कद्दा पूछो इससे । रोई क्यों दे !' कया बात हुई !” कृष्ण ने सुभद्रा से पूछा । बच्ची ने लजा कर यशोदा की गोदी में सिर छिपा लिया | यशोदा ने रोचना को देखा । रोचना कहने लगी : चोर के घर चोर ही तो रहेगा । रोचना की छोटी श््रौरस पुत्री सुभद्रा ने सिर श्रीर छिपा लिया । यशोदा मुस्कराईं । रोचना कहती गई : कुशवाद्दसमन्त गोप के घर से बिटिया मक्खन चुरा लाइं थी । मैंने श्रभी पीटा था सो भू ठ बोल बोल कर रो रो कर श्रपनी सचाई को दुद्दाई दे रही थी । बताश्रो ! भू ठ बोलना श्राता दे इन बच्चों को ? समभते हैं कि बड़े कुछ समभकते नहीं । मुँह में मक्खन लगा है श्रौर कहती है कि मैंने कल से ही नहीं खाया । सब खिलखिला कर हँस पड़े । सुभद्रा ने एक बार चंचलता से कनखियां से देखा श्रौर फिर शर्मा कर गोद में सिर छिपा लिया । क्‍या हुश्रा तो ?” यशोदा ने कहा : “ये बेठे तो हैं मद्दाराज सामने ।” उसने कृष्ण की श्रोर इशारा किया, “ये ही क्या किया करते थे पहले ?? परे ये !” भीतर से किसी ब्द्ध ने कहा : “ये तो पूरा श्रसुर था । इसे तो यशोदा पेड़ों से, ऊखल से बाँध देती थी ।? सब फिर हेँसे । कृष्ण लजा गया, सुभद्रा ने मुँद निकाल लिया । व मुस्कराने लगी । वृद्धा ने कहा यमल श्रौर श्रजु न यक्ष बद्ां न होते तो यद्द तो रो रो कर जाने क्या कर देता ! उन्होंने बताया कि पेड़ों तक ऊग्वल खींचकर ले गया श्रोर श्रटक गया है । बिचारे श्राये । नन्द ने उन्हें कितनी मेंट दी |




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