तीर्थकर वर्द्धमान भाग - 1 | Thirthakar Varddhaman Bhag - 1

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Thirthakar Varddhaman Bhag - 1  by श्रीचन्द रामपुरिया - Shrichand Rampuriya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| ड | बुराइयों और जड़ताओंके विरुद्ध जो तुमल मोर्चा लिया, उसका सहज चित्र सामने श्रा जायगा । विदेशी विद्वानोंका अनुसरणकर महावीरकी जन्मभूमि वेश्ाली मानी जाने लगी है पर लेखकका मत हू कि वंदाली महावीरको जन्मभूमि नहीं हो सकती । उनकी जन्मभूमि क्षत्रियकुण्ड ग्राम ( पुर) था । इस विषयकी चर्चा जोवनीमें जन्मभूमि दोष॑कके भ्रन्तगंत ग्राई हैं । इस पुस्तकके लिखनेमें जिन-जिन विद्वानोंकी पुस्तकोंका सहारा लेना पड़ा है, उनके प्रति लेखककी हार्दिक कृतज्ञता है । 'जीवन-साहित्य के सम्पादक सह्ृदय भाई यद्वपालजी जनन मेरे अनुरोधकों स्वोकारकर भूमिका लिखनेकी कृपा की, उसके लिए में उनका हादिक आभार मानता हु । यह जीवनी महावीरका प्रामाणिक जीवन-परिचय देनेकी दुष्टिसे लिखी गई है। यदि यह प्रयास उस दिशाम थोड़ा भी सफल रहा, तो मं अपनेको कृतकृत्य समझूंगा । दे ३ पांचागठोी कलकत्ता हे श्रीचन्द रामपुरिया ता० २८४५३ प




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