सूर सौरभ | Sur Sourabh

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Sur Sourabh by प्रेमनारायण शुक्ल - Premnarayan Sukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५) सादित्य-लहरी का दूसरा पद सुर-जीवन पर पर्याप्त प्रकाश डासता हे। उसे हम ज्यों का त्यों नीचे उद्धृत करते हैंः-- प्रथम हो घृूथु जाग ते मे प्रगट श्रदूभुत रूप । ब्ह्मसाव. विचारि ब्रह्मा राख नाम झनूप ॥ पान पय देवी दियो सिव आदि सुर खुख पाय 1 कहीं दुर्गा+ पुन ते भयौ शसि. सुखदाय ॥ पारि पॉयनु सुरन के पिहु सददति भ्रस्तुति कीन 1 ताखु वंस प्रसंस मे भौ. चन्द चार नवीन ॥ भूप '्रथ्वीरान दीनों तिन्हें ज्वाला देख । तनय ताके चार, कौन्हों प्रथम श्राप नरेस ॥ दूसे गन. चंद ता. सुत सीलचंद सरुप । बीर चन्द प्रताप पूरन भयो शदूभुत रूप ॥ रत श्र हमोर भूपति संग खेलन जात । त्तासु बंस थनूप भी दस्चन्द अति. पिख्यात श्वागरे रहि मोफचल में रहो ता. सुत बोर । '. पुत्र जनमे सात ताकि. महा भट गम्भीर 0 छृष्णुचन्द, उदारधन्द जो. रूपचन्द सुभाइ । दर घुद्धिचन्द, प्रकाश चौथी चन्द भी. सुखदाद ॥। देवचन्द, प्रबोध, संसृत चन्द ताकों नाम 1 भयो सप्ती नाम सुरजचन्द्‌ मन्द्‌ निकाम ॥1 सो समर करि सादि स्यों सब गये विधि के लोक । रही सुरनचन्द इग ते हीन मरि भेरि सीक 9) परयो कूप पुकार काहू सुनी ना. संसार । सातयें दिन श्राइ यदुपति कियो. शाप उधार | दिव्य चस दे कद्दी सिसु सुन मांग बर जो चाइ । हों कहीं अभु भगतिं चाइत शत्रु नास छुमाइ ॥ दूसरों ना रूप देसों देखि राधा स्याम 1 सुनते. कदनासिंधु भाखी एवमस्तु सुधाम ॥ के शब्द के साि आया संगयान शिव माने जब है य्त इक से सके या शक्ति को यद्दीं घ्ह्मराद की जननी कहा गया है जो शिव की पत्नी हैं ।




User Reviews

  • Ranjana Dixit

    at 2020-04-24 13:29:00
    Rated : 8 out of 10 stars.
    Can I add a photo of Dr Prem Narayan Shukla, how can I upload
  • Ranjana Dixit

    at 2020-04-24 12:41:24
    Rated : 8 out of 10 stars.
    'सूर सौरभ पुस्तक' डॉ मुंशीराम शर्मा 'सोम' जी द्वारा रचित है, जो पुस्तक खोज करने पर डॉ प्रेम नारायण शुक्ल के अंतर्गत आती है, और लेखक के बारे में जानकारी के समय शुक्ल जी का विवरण आता है, कृपया सुधार कर लें। डॉ प्रेम नारायण शुक्ल के बारे में जानकारी दी है, पर उनका पेज खुलने पर सामने यही आता है कि लेखक के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है
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