धान की खेती | Dhan Ki Kheti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : धान की खेती  - Dhan Ki Kheti

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ठाकुर रामनरेश - Thakur Ramnaresh

Add Infomation AboutThakur Ramnaresh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १५ ) लाई जाती है जो कि पुरानी इकट्ठा किई हुई हीती है और नया गोबर भी डाला जाता है। _ हड्डी की पांखों में सोपर फास्फोट आफ लाइम्‌ 3०067 फिफ०5ए9966 0 .प्०० या बोन मील 80०० ए०छा ये अच्छी समभरी जाती है । बनस्पतियों को पास में रुसाह की पत्तियां और नीम की खली बड़ी गुणकारी है इन दोनों के डालने से हानि पहुंचाने वाले कीड़े भी मर जाते हैं। और आान के खेत में फिर काई बीमारी नहीं फेलती |... जोताइं कुभारी धान के लिये जोताई बहुधा फसिल कर जाने के पश्चात्‌ कर दी जाती है और उसी खेत में चना आदि यो दिया जाता है और चना इत्यादि कटने पर ज्योंही वर्षा प्रारम्भ हुई खेत में पानी. भर कर जिसे ठेवं लगाना कहते हैं दो तीन वार जोताई करके कई बार सरावन (पटेंछा) कर देते हें जब मिट्टी पानो में अच्छी तरह से मिल जाती है तब बीज बोते हैं । ओर अगददनी धान के खेत के बोने अर्थात बीड़ छंगाने से कई खप्ताद पहले जब खेत पानी . से. अच्छी तरह भरा रहता है दो २ बार जोत कर सरावन करते हैं । इसी प्रकार तीन चार बार +रने से खेत को मिट्टों सड़ जाती है गांव वाले इसी के कनीरसरि कहते हैं । ऐसा करने के दूसरे दिन वीड़ ठछगाई जाती है । ज़ाताई के तीन चार. दिन पीछे मिट्टी बैठ जाती है इस कारण ' से यदि बीड़ ठग! ने में कुछ भी देरी होगई तो बडी कठिनता पड़ती है । पहिले दो बार चारस व मिष्ठन ६6४8. 07 1 656070 दद्छ्से और चार बार देसी लसे के जोताई कर देना चाहिये । चात्डी_ पांच घेर सेरावन भी करना योग्य है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now