दृष्टिकोण | Drishtikon

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Drishtikon by विनय मोहन शर्मा - Vinay Mohan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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० [सश्किण पान फदान' से पाता को चरिक-चि्षण पडी चतुराई से श्यि जाता दे | उसमें पफिस्पार की गु गाइश से दे से यय नये सम्यादों में ही पानों के स्वस्त्रि को परत्यार्यारत हो उता है । कहानी में जितने दी पम पार होते हैं, व्यस्त चित्रण उनया है द्वाधर सपल दोता है । पान ऐमें दो जे हमें थपरिचित मे ज न पढ़ें, ये दसी गरगपी हे प्र सी इमारे चार शोर चलने पिरने शले-दो । दूसरे शब्द मय लत के पहुत सॉलिफंड हो । पाया से चियण के दो प्रकार प्रचलित हैं-- एक मे पेपर द्वपते थी सदस्य इस्कर पाप ये ब्यपारों तथा समापंण से उसके व्र्यि को उदघाटन पग्ता दे; दूसरे श यह सपय उसके सन को विसलेषशण करना है ] प्रथम प्रणु्ली में #थाफार पात्र के सम्बन्ध में किसी प्रकार की पिच चना नह करता । इसे नाठरीय प्रणाली बडा जाता हे श्रौर दूमरी प्रसाली को जद व «तार पाता थी सावनाशों पाय फरतप ादि थी. समीक्षा बरता दूँ श्र, श्रन्त मे रबय उसके चेरिग का पिशीयक बन जाता है, 'फिश्लेपणास्मक प्रणाली” से सचिव मिथ। जाना दै। कहानी मे एक या! दोना प्रशुलियो वा प्रयोग दो सफता हे । पर उसम पिस्तृत पिश्लेपण के लिए ले नई है। क्योंफि बह पूण जीवन नहीं, जीवनाग का एफ चिता है | कंप्रोरककत कथोषक्धन कद्दानी वो रोचक यताते हैं । वास्तव मे इस त्तत्य के । दास ही कदानी थागे बढती द्लोर बपने उद्देश्य वो छूती है। पाएं के चर्म सी इसी से प्रकाशित छोते हैं | व ददानी में शम्बे सम्वाद हे शौत्सुक्य नद दो जाता है, * बचा” घर नहीं कर पादी | श्रतरव सम्बाद दोटे हों खुस्त हो , लडय वी ओर ले ज्ञाने वाले दा । शेली- ः शैली कहानी फहने के दग का जाम है। कहानी “(७ श्रात्मचलि थे रूप मे बढ़ी जा सकती है सान। स्व फहामीवतर ऋपने जीयन री कथा सतिशेष कद रदा दो। बद्दानी नी यद शेली “ में * के साथ चलती हे | (९) इतिहास वे रुप में की जा सरती है जिसमें बहानीकार सटस्य - होकर घटनीद्या का वर्णन करहा जाता हे | श्रथिकाश कद्दानियीं इसी शैली में लिगी जाती हैं । (२ डायरी और (४) पतों मे भी कहानी कही जाती दे | शुली के श्रन्तर्गत कदानी कदने के ढग के श्रतिरिक्त मापा का भी विचार दोता हे। मापा वा सर्प काय्यमय हो रुसता है श्रयया सरल -- व्यापदास्कि




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