अयोध्याकाण्ड के उत्तरार्ध | Ayodhyaakaand ke uttradrdh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
602
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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(३)
गे चाचयति प्रभ्नसुते तत्त्व मुनिम्यः पर
उ्याख्यान्ते भरतादिमिः परिचत रामं भेजे इवामजमू ॥ १३ हा
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माध्यसम्प्रदाय:
झुक्ास्वरवरं विष्णु शशिवर्ण चतुदु जम !
असन्नवदनं ध्यायेत्सवविज्नोपशान्तये ॥ १ ॥।
लक्ष्मीनारायण वन्दे तद्धक्तप्रचरो हिं यः ।
श्रीमदानन्द्तोथाख्यो सुदस्तं च नमास्यदम् ॥ २॥।
चेदे रायायणे चैव पुराण भारते तथा ।
'आदु।वन्ते च सब्वे च बिष्शुः सब त्र गोयते 1 ३ ॥
सवधिघ्रगशमन' सब सिद्धिझर परम
सब जीवप्रणतार वन्दे विजचद हरिसू ॥ ४ ॥
सर्वाभीष्रग्रद् राम सर्वारिप्रनिवारकमू _ ।
जानकोजानिमनिश बन्दे सदूगुरुवन्दितिसू ॥ ४11
व्ध्रम भडरहिनमज डे विमल सदा ।
३
'ञानन्द्दी यमतुल मजे तापत्रयापदमू ॥ 5 ||
भवति यदनुभाबादेडमूको5पि बार्मी
जडमसतिरपि जन्तजायते प्राजमीलिः ।
सकलवचनचेतोदेवता भारती सा
मस चचसि विधत्ता सन्निधि सानसे च ॥ ७ ॥
रमेथ्या सिद्धान्तदु्ध्वान्तविध्व सनविचक्षणः ।
जयतीथांख्यतरशिभासतां नो हृद्सवरे ॥ ८ ॥
दर
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