ईशान वर्मन नाटक | Eshaan Varman Naatak

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Eshaan Varman Naatak by मिश्र बंधु - Mishr Bandhu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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₹४५ ) इसी घिजय के उपलब्त में सन्नार कुमारगुप्त ने गद्दी छोड़कर चरवश स्क्त्शुप्त का सम्नादू बना दिया । हणों से युद्ध फिर भी घारदघष श्यौर हुआ । छत में उपर्युक्त तीनों बादशाहों का घध करके सम्नान स्क द्गु त ने हण ध्याक्रमश से भारत' का छुरकारा किया । ४५७ में ही थे स्वगंघासी भी हुए। सम्नार समुश्रगुप्त के समय से रुक दगु त के काल तक भारत में सत्ययुग सा रद्द । यहाँ इतनी खु यवस्थित शासनप्रणाली घोर किसी समय नहीं रही । कुछ पेनिद्ासिकों का घिघार है कि हण बल से ध्न्त में सक श्युत की द्वार हो गई कि तु जायमचाल मद्दाशय ने मज्जुधीसूजक'प को टीका में दृढ़ झाधारों से प्रमाणित किया है कि ४१ के पूर्व हण शासन भारत में नहीं स्थापित हुध्या । इन कारणों को थोड़े में यहाँ भी लिखते हैं । शुप्त सचत्‌ २८१ (सन्‌ ६४) घाले सारनाथ के लेख से दो धालादिय सन्नाटों का इस चश में दाना लिख है। स्कर के पीछे बहुत थेाड़े काल के लिये पुर गुप्त सम्नादू हुए । इनके उत्तराधिकारी घालावित्य प्रथम के घिषय में चघवगस सूच छोर मंजुननीसूलक प में ध्याया है कि उ होने नि सपलमकणटकम्‌ राँ य भोगा । नालन्द के लेख से प्रकर है कि छापदी घट पहले गुप्त सन्नादू थे लो घोद्ध हुए | इनवा शरीराग्त ३६ घष को ही छावस्था में हुा। मे भू कप कदता है कि छाप कई जामों तक चक्रचलि रहेंगे। इन दानों प्रमाणों से इनका राय ध्यल्लुणण बैठता है। इनके पीछे कुमारगु त दूसरे ४७३ से ४७६ तक सन्नार हुए । लिखा है कि थे धमवाभ थे घर इनके राज्य में भोड' ( उत्तरी घंगाल ) की उन्नति हुई । घनन्पर बुध गु त सम्नाद हुए । मे सू क प कहता है कि इस सच्चाग के पाछे हो यह विश्लेषण द्वारा गुप्त सान्नाय टूदा । बुध गुप्त प्रकाशादित्य का समय ४७ से ५. तक माना जाता है । इनके दीनाजपुर चाक्े ताम्नपन्नों ौर सारनाथ के कषेख दर




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