मनोविज्ञान और शिक्षा | Manovigyan Aur Shiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सनोविज्ञान (ख) € यह ठीक समभक्ता गया कि सुख श्रौर श्रानन्दकी बातोंको बिल्कुल ही नष्ट कर दिया जाय। प्रत: यह स्वाभाविक था कि सस्तिष्कका ज्ञान बढ़ानेकी श्रोर अधिकसे श्रधघिक ध्यान दिया जाय। प्लेटोका कहना था कि चेतनाका ख्रोत हमारे पूर्व जन्मकी स्मृति थी। डिस्कार्टीज़ कहता था कि यह हममें जन्मसे है, लॉक ने इन जन्मजात (00816) विचारोंकी श्रालोचना की। उसने जन्मके मस्तिष्ककी एक कोरे काराज़से तुलना की, जिसे बादमें इन्द्रियां (561565) लिखकर भर देती हैं। मस्तिष्क तथा इच्द्रियोंमें प्रारम्भ में कुछ नहीं होता। इन्द्रियां ज्ञानके द्वारा हैं। लॉक ने कहां कि मस्तिष्कका श्रध्ययन करनेके लिए भ्रस्तरावलोकन की ही विधि है। जब उसने भ्रन्तरावलोकन किया ती उसे पता चला कि मस्तिष्क निरन्तर परिवतित होता रहता है। वह इस परिवर्तनके नियमोंको न समका सका, शप्रतः उसने इसकी कई ग्रवस्था एं बता ईं। इस को बादमें मनो विज्ञानके 'एसो सिएशनिस्ट' (.5500घ0ए0750) सम्प्रदाय ने समभफाया। यद्यपि लॉक मे जन्मजात विचारों को सफलता पुर्वेक श्रस्वी कार कर दिया, परन्तु वह जन्मजात श्रान्तारिक शक्तियों (10011916 चिट्पापिट 5) को श्रस्वीकार न कर सका। उदाहरणके लिए वह यह तो समझा सका कि मस्तिष्कको 'लाल' का ज्ञान कंसे हुमा, परन्तु वह यह न समझा सका कि इसमें *रंग' का चिचार कंसे ग्राया । इसके लिए उसने मस्तिष्कको एक दक्ति दी, जिसको उसने' पुथक्करण की शक्ति (805080907 ) का नाम दिया । नाम रखना किसी वस्तुको समभाना नहीं है यह कहना कि मस्तिष्क याद रख लेता है, क्योंकि इसमें स्मरण-शकक्‍्ति हूँ, बेकार हूँ। इस प्रकार लॉक को मस्तिष्कके लिए बहुत-सी विभिन्न शक्तियां निकालनी पढ़ीं । हर्बाटे ने भी लॉककी यह बात मान ली कि जन्मके समय मस्तिष्क नग्न होता हू। उसका कहना था कि यह सम्पुर्ण एक है। इसके अलग-अलग भाग नहीं हैं श्रौर इस में केवल दो गुण हैं, प्रभावों पर प्रतिक्रियाकी शक्ति भ्रौर निष्क्रिय श्रवरोध (0853ंए6 1638- (घा106)। पिछले गूणके कारण इसमें परिवतंन कम होते हूं प्रौर परिवतेन होने पर पूर्व ग्रचस्या पर लौटना कठिन हो जाता है। जन्मके मस्तिष्कके इस रूपमें प्रारम्मिक समानता का सिद्धान्त सम्मिलित है। हर्बार्ट के श्रनुसार सब मस्तिष्क समान उत्पन्न होते हैं। भरत: एक. भ्रपूर्व बुद्धिका श्रौर एक मिट्टी ढोनेवाले गंवारका मस्तिष्क एक हो सतहसे प्रारम्भ होता है। इसका श्रय॑ यह है कि मस्तिष्क बाहरी बातोंसे ही बनता हूं श्रौर इसमें कोई जन्म जात विचार नहीं होते। यहां तक हुर्बार्ट श्रौर लॉक एकमत हूं। परन्तु हर्बाटे ने जन्मजात ग्रान्तरिक शक्तियों (116 छिएपा ८5) को भी रद कर दिया। उस समय तक




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