तेलुगू साहित्य का इतिहास | Telugu Sahity Ka Itihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Telugu Sahity Ka Itihas by बालशौरि रेड्डी - Balshori Reddy

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बालशौरि रेड्डी - Balshori Reddy

Add Infomation AboutBalshori Reddy

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आरन्प्र-प्रदेश ५9 मल्लदेव नंदिवर्मा ने ई० स० ३३९-३४० में अपने दान-लेख द्वारा मुडियनूर नामक गाँव को दान किया था । “आन्प्र.... मंडले. द्वादश. सहस्र ग्राम संपादित सप्ताथ लक्ष विषयाधिपते: ।” (ई० आ० जि० ४, पृष्ठ ७५ ) जौनपुर (ई० सन्‌ ५५३) के शिलालेख में “प्रतिरन्ध्रमान्घ्रपतिना”, “आन्श्रसेना- भटपु”--आन्घ्र को देदवाचक के रूप में सुचित करते है। ईशानवर्मा द्वारा निमित हरहा के शिलालेख में भी (वि० संवत्‌ ६११, ई० सन्‌ ५५५) “जित्वांघापतिमू” का प्रयोग हुआ है । यदाः वर्णदेव (ई० सन्‌ १०७२) के “खरा” ताम्रलेख में “आन्घ्वाधीशमरंध्रदोविलसितम भश्यवत्लिगोदावरी” आन्घ्र शब्द देशपरक रूप में व्यवहत हुआ है। वराह मिहिर की बृहत्संहिता तथा ह्ययेन त्सांग के वर्णनों में भी आन्घ्र दाब्द देश के रूप में ही व्यवह्ृत हुआ है । “आन्घ्र” शब्द भाषापरक रूप में, तलुग भाषा के प्रथम महाकवि नन्नय भट्ट ने “नंदंपूडि” के दिलालेख में अपने सम्बन्ध में लिखा है--“आन्घ्र कवित्व विशारदृंडु”, अर्थात्‌ “मैं आन्घ्र (तेलुगु) भाषा की कविता का विशारद हूँ ।” इसके पदचात्‌ तो आन्श्र और तेलुगु दाब्द भाषा के लिए समान रूप में प्रयुक्त होने लगे । तेलुगु और तेलुगु ब्रह्माण्डपुराण के वर्णनों द्वारा हमें यह विदित होता है कि आन्घ्र देश में श्रीदेल, कालहस्ती तथा द्राक्षाराम नामक जो तीन प्रसिद्ध शिवलिंग क्षेत्र (तीथे ) हैं, उनके मध्य भू-भाग का नाम त्रिछिंग देश है । कुछ लोगों का कथन है कि यही “न्रिलिंग”' दब्द “तेलुगु ' के रूप में परिवर्तित हो गया है, परन्तु इससे प्रबल एक और उदाहरण है । प्राचीन काल में गंगानदी के तट से लेकर उड़ीसा के कटक तक का भू-भाग उत्तर कालिंग (उत्कल) नाम से व्यवह्ृत होता था । कटक से लेकर गंजाम जिले के मल्य प्वतश्रेणी तक मध्य कलिंग तथा गोदावरी तक का प्रान्त दक्षिण किंग नाम से पुकारा जाता था । ये तीन कलिंग ही “त्रिकलिंग” और “व्रिलिंगा” कहलाये, “त्रिलिंग” से ही 'तिल॒ग' का उद्भव हुआ । कुछ लोगों का विचार है कि गोदावरी के उत्तर में महेन्द्राचल तक का प्रदेश आन है। इस देश का नाम कलिंग भी था । कलिंग तीन थे--उत्कलिंग, सधुकलिंग और कलिंग । ये ही त्रिकलिंग कहलाये ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now