तेरापंथी - हितशिक्षा | Tera Panthee Hitashiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
336
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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इत्यादि जेनधमेंके सिद्धान्तांस बिछकुछ विपरीत सिद्धान्तो-
को मानने वाले यदि ' जैसी ' होनेका दावा करते हो, तो उनका
यह वैसा दी दावा है, जैसे कि--एक कसाई, ब्राह्मण द्ोनेका दावा
टी हैं, इसमें एक और भी प्रमाण है |
कि देव, चौबीस तीथकर हैं, तेरापंथियेंकि देव, उस पंथके
क भीख्म है । जेनाके गुरु, पंचमहात्रतको पालने बाले,
कंचन-कामनीके सवबंधा त्यागी, उष्णजढकों पीनेवाठे, निर्दोध
आहारको छेनेवाठ आर महांवीरस्वाभीके तीथमें गुरुपरंपरास
चले आनेवाल साघु- मुनिराज दूं । तरापंथियोंक गुरु, साध्वियों-
श्राविकासोकों रातके दस न बजे तक पासम दी बेठा रखनेवाले,
एक एक दियरोक अररसे सियत किये हुए घरोमेंखे समरजी
मृजब माल उठाया, साध्वियाक पाल आदारपानी भंगवानिवाले,
कच्चे पानीकों पनिवाले, ( एक घड़े पानी जरासी राख डाल दी,
इससे पका नहीं कद्दा जा सकना, आर ऐसे राखके पानीके पीनेका
अधिकार भी गद्दी है, इसलिये दम उलकों कच्चापानी ही कहते हैं )
मूँद पर दिनसर सुद्प्ती दांव रखने वा, तेरापंथी साघु ही हैं।
जनाका धरम, महारवीरस्वामीका प्ररूपित है, ओर तेरापंथियोंका
घ्मे, भीखमका उप्पादित हु |
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पद
पी
८]
पा
2 दा
अब बतावें पाठक; तेरापंथियोंको जेनी कहना, कितनी भारी
भूल है ।
ऊपर कहे हुए संसार-ब्यवद्दारकों छेदनकरने वाढे, हृदयको
निदेय घनानेबाठ बहुतसे सिद्धान्तोंका नामोलेख * तेरापंथ-मत-
सभीक्षा ' में किया गया हैं | भव इस पुस्तक्में उनके
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