जैनधर्म | Jaindharm

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Jaindharm(1995) by मुनि विद्याविजय - Muni Vidyavijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अमारी ग्रंथमालानां गुजराती पुस्तकों १ विजयधमं सूरि-स्वगंवास पछो... २--८--० ६ विजयघम सूररिना वबनकुसुमो.. ०- ४--० २० आबू. ( 3५ फोटो साथे ) २--८--० ९ विजयधमसूरि क १२ श्रावकाचार ०--३--० १३ द्ाणसुल्मा ०--३--० १४ समय ने ओठसखों भा. २ जो ०-१०--० ९ समय ने ओठर्वां भा. ' लो ०-१२-० २७ सम्यकत्व प्रदोप कथ १८ विज्ञयधर्मसूरि पूजा ०--४--० २० व्रह्मचयं दिगदज्ल'न ०--9 २२ वक्ता बनो 1 ०-- ६--५ २३ महाकवि झोभन अन नेमनी कनि ०-- ३-०७ २४ चाह्मणवाडा 9- -प्० +^ जनतस्वज्ञान ०-४५-9 २६ द्रव्य प्रदीप ०-४-० ८ धर्मापदेदा ०--६--० २९ सप्तभ गी प्रदीप ०--5--० ३२ धमं प्रदीप ०-9४-2 ४० आबूलेखसंदोह , २--८-- ° ^ विद्याविजयजोनां व्याख्यानो = ४६ श्री हिर्मोश्चुविजयजीना लेखो १८ मव्टवानु ठेकाणु श्रीं विनयधमं सूरि जेन ग्रथमाला छोटा राफा, उञउजेन (माल्त्वा)




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