प्रवचन प्रभा भाग - 1 | Pravachan Prabha Bhag - 1

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Book Image : प्रवचन प्रभा भाग - 1  - Pravachan Prabha Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्ञान का श्रक्षय श्रोत पयु षण का अयें सज्जनो, गाज महान पवें पयुंषण का प्रारम्भ हो रहा है। अव हमें यह जानना है कि पयुंघण शब्द का अ्थे कया है, इसकी परिभाषा क्या है ? प्राकृत 'पज्जुसवणा' का सस्कृत रूप पयुंपणा है । इस शब्द की निरुक्तिपुर्वक परिभाषा इस प्रकार की गई है-- * पर्याया ऋतुवृद्धिका द्रव्य क्षेत्र काल भाव सम्बन्धिन उत्सृज्यन्ते उउझ- यन्ते यस्यां सा निरक्तिविधिना पर्योसवना । अथवा परीति स्वत फ्रोघादि- भावेभ्य उपशम्यते यस्यां सा पयुं पशमना । मथवा परितः सर्वतः एक त्र नियतकाल यावत्‌ चसन पयुषणा ।”” शास्त्रों मे प्राकृत पज्जुसवणा शब्द के संस्कृत भाषा मे तीन प्रकार के रूप पाये जाते हैं। पर्योसवना, पयुंपशमना भर पयुं षणा । प्रथम शब्द रूप के अनुसार द्रव्य , क्षेत्र, काल और भाव सम्बन्धी ऋतुव्धघंक पर्यायों को; आचरणो को छोडा जाता हैं, उसे पर्योसवना कहते हैं। दूसरे रूप के असुसार कफ्रोघादि भावों को जिसमे उपशान्त किया जावे, उसे पयु पशमना कहते हैं । तीसरे रूप के अनुसार जिसमे नियत काल तक सबवें कार्यों को




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