मधुर स्वप्न | Madhur Svapan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
282
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मधुर स्वप्न
हुए उसके ऊपर भ्रानेवाले खतरे का जिक्र किया, तो श्रन्दर्जगर ने कहा--यदि
देरेस्तदीन इतने से कार्यक्षेत्र मे सफल हो सकता है, तो मजूदक श्र सियाबस्श
भ्रमर तो नही हैं, वह कव तक उसकी रक्षा करेंगे। मैं इस पर विश्वास नही
करता, कि हमारे श्रौर तुम्हारे भ्रवलम्व से ही श्रागे वढने वाला देरेस्तदीन कभी
इस घरती मे वद्धमुल हो सकता है । हम तो निमित्त मात्र हैं। हो सकता है, हम
सुंतल पर समता का राज्य स्थापित करने मे कुछ दूर तक सफल हो जाए श्रौर
फ़िर विरोधी शक्तिया उसका ध्वस कर दें, तो क्या उसके साथ ही हमारे सिद्धान्तो
प्र उद्देयो का सदा के लिए श्रन्त हो जाएगा * मेरी घारणा दूसरी ही है ।
भूख की शान्ति के लिए प्राहमार की श्रावश्यकता होती है, जाडो मे गरम पोशाक
धोर श्नाहमार की ज़रूरत पड़ती है, इसी तरह इस दुनिया से दुखो के दूर करने के
लिए मनुष्य-मात्र मे समता--भोगों की समता, कामों की समता--स्थापित करना
ही एक मारे है। विपमता में मुट्ठी-भर लोग ही सुखी रह सकते हैं श्नौर वह मुट्ठी-
भर भी निद्चिन्त जीवन नही वित्ता सकते । विप के डर से हर थाली को सशषक
दृष्टि से देखते हुए भोजन करना, गुप्त झाघात के मय से श्रनिद्चित शय्या्ो की
ररण लेना, क्या इसे सुखी जीवन कह सकते है ? मनुष्य जव भी व्यापक सुख की
चिन्ता करेगा, वह इसी निइचय पर पहुचेगा, कि सबके सुखी होने पर ही हम
छुली रह सकते हैं । मैं धर मेरा का स्याल छोड विदव को एक कुटुम्व वना
उसमें समता की स्थापना ही सारे रोगो की दवा है। हम श्राज प्रयत्न कर रहे
है; हो सकता है, उसमें सफल न हो पाए। यह भी हो सकता है, कि श्रानेवाले
मईुरन्वप्नदशियों को हमारे तजबें का कोई परिचय न हो, तो भी जो सत्य है,
पेहें भूल जाने पर भी फिर प्रकट होगा । हमारी रक्खी नीव के भी लुप्त हो जाने
पर नये हाथ श्रौर मस्तिप्क फिर इस काम में लगेंगे, श्रोर वह तब तक विश्वास न
लग, जेब तक वह भव्य प्रासाद नहीं तयार हो जाएगा, जिसका निर्माण करना
हमारा लक्ष्य था ।
जामास्प के झात्मसमपंण की वात सुनकर त्तस्पोनू-वासियो का दु स्वप्न दूर
टू । श्रपनी भरी, काली वडी-वडी दाटियो से हेफूतालों ने नागरिकों के मन में
गये बा संचार ज़रूर किया, किन्तु कही शान्ति भग की नौवत नहीं ग्राई। हाथ
पाथगर स्वप बन्दी बनकर भाए जामास्प के वन्घनों को कवात् ने झपने हायो
रोल दिया धौर गद्गदु हो उसे छाती से लगा लिया । लेकिन लोग उस वक्म्
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