आर्थिक अवधारणाएं और विधियाँ | Arthik Avdharnaye Or Vidhiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्र (1) यह विश्लेषणात्मक (8031४11081) है-इसमे प्रत्येक क्रिया के चुनाव-पक्ष का अध्ययन किया जाता है । ऊपर स्पष्ट किया जा चुका है कि सीमित साधन, उनके वैकल्पिक उपयोग एवं विभिन्न महत्त्व वाले अनेक लक्ष्यों की स्थिति मे चुनाव अवश्य करना होता है । अत रोबिन्स की परिभाषा विश्लेषणात्मक है । इसमे क्रियाओ को आर्थिक व अनार्थिक दो श्रैणियो मे नहीं बाटा गया है 1 (2) रोविन्स साध्यों को दिया हुआ मानता है-उसके मत मे साध्यो (जिन्हे एक व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है) का निर्धारण राजनीतिज्ञ अथवा नीतिशास्त्री अथवा व्यक्ति स्वय करते है । अर्थशास्त्री का काम (जर्थशास्त्री के रूप मे) साध्यो के अच्छे-बुरे की जॉँच करना नही है, बल्कि उनको दिया हुआ मानकर केवल उनको प्राप्त करने के उपाय सुझाना है । (3) अर्थशास्त्र एक मानवीय विज्ञान है-इसमे समाज मे रहने वाले और न रहने वाले दोनो प्रकार के व्यक्तियो के व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है । (4) परिभाषा में साघनों की 'भौतिकता' के स्थान पर “*सीमितता' पर बल दिया है-रोबिन्स के अनुसार साधनों की “भौतिकता” आर्थिक समस्या को जन्म नही देती है, बल्कि उनकी “सीमितता” ही आर्थिक चुनाव के लिए प्रेरित करती है । साघन भौतिक ण अभौतिक हो सकते है । लेकिन जब माँग की तुलना मे उनकी पूर्ति कम होती है, अर्थात्‌ जब वे सीमित होते है तभी आर्थिक चुनाव की समस्या पैदा होती है 1 हम पहले बतला चुके हे कि अधिकाश आधुनिक अर्थशास्त्री आर्थिक समस्या को 'सीमितता' से जोड़ते है और इसे “चुनाव की समस्या' मानते है । सेमुअल्सन व नोरदाउस, लिप्से, मिल्टन फ्रीडमैन व जी एल बच आदि ने रोबिन्स के दृष्टिकोण का समर्थन किया है । जी एल बच (51.. 8820) व उसके सहयोगी लेखकों ने अर्थशास्त्र को “आर्थिक विश्लेषण” व “आर्थिक नीति” दोनो रूपों मे देखा है | आर्थिक विश्लेषण के रूप मे, “ अर्थशास्त्र इस बात का अध्ययन करता है कि हम जिन वस्तुओं व सेवाओ को चाहते हैं, उनका उत्पादन कैसे किया जाता है, और उनका हमारे दीच मे वितरण कैसे किया जाता है 1” इस तरह आर्थिक विश्लेषण वस्तुओ व सेवाओ के उत्पादन व वितरण से सम्बन्ध रखता है । लेकिन मार्थिक नीति के रूप मे “ अर्थशास्द इस दात का अध्ययन करता है कि उत्पादन व वित्तरण की प्रणाली किस प्रकार बेहतर ढंग से काम कर सकती है।” अत आर्थिक नीति के रूप मे यह उत्पादन व वितरण की प्रणाली मे सुधार के उपाय सुझाता है ताकि इनको पहले की तुलना मे ज्यादा कार्यकुशल




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