पत्रदीपिका | Patradipika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
64
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दे पं्दोथिका
कि वीषोंकं साथ लेकर विवाइसें दस पाँच दिन
पहले आत्था क्योंकि हस्हारे बिना कई सडप्चादि
कसम नछों हागा से तम १५ दिन परले आओ
और २०../स० को हुरसी सेजते हैं इूससें तम आते
समय १५/ तथा २०./ स० का केई शाली रूमाल
भाटों के देने के लिये लेते आना और लल्द आना
इस घाउ, लिखे का बहुतसा समझना ॥
मि० मागशिर शदी ३ सम्बत् १९१८
[प्र*पह्])--जमाई. को चोर से स्सर को | र
सिद्धि सो खसुर छठी शो भ्--कीाएएणकीं
द्र्ड़वत् पहुंचे यहीं कृशल है वहां कुशल चाह्यये
आग आप हमारे घ्म के पिता हो इसलिये
तुमसे कथनोय वा अकथनोंय कुछ छिपाना नचाहिये
बात यह है कि रूम सदव परदे श में रहा चाहते
डे ोार इसनो तनखाह नहों लो नोकरों से कामलें
छोर घरका थी खर्च चलाये ओर आपका घब्स यह
था किविवाह और दिरागमन का करना ओर
सिवाय इसके आपने इतने दिन ओर सहायता को
परंतु अब नारायणने चार पेंसें. के ऋोखसे लगा दिया
थे इसलिये उचित यही के कि कुछ ट्विख रक साथ
पज-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...