यत्रम तत्रम | Yatram Tatram
श्रेणी : साहित्य / Literature

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गोपाल प्रसाद व्यास - Gopalprasad Vyas
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मंत्री ऐसा चाहिए / हे
तंरहं संचिंत भोजन मरने वाले मन्त्री उसीदी तरह वलवलाने भी संग जाए । उनकी
चमडी ही भंसे की तरह मोटी न हो, अकल भी उसका अनुवरण करने सगे । गदहे
थी तरह काम का बोझ उठाने वाले, यदि उसकी तरह दुलत्ती भी झाडने लगे और
मुत्ते वी तरह अचक नीद सोने वाले महाशय यदि टूसरों क टुवड़ों पर पलवर अपनी
पूछ भी सीधी न होने दें तो गजब हो जाएगा कि नहीं ?
फिर भी मन्त्तिया में यदि जानवरा का प्रतिनिधित्व ढूढना हो तो हमारा
निवेदन है कि सरबपर मा ध्यान नेवल चौपायों पर ही नही, परिदा पर भी जाना
साहिए । इस सम्बंध में वौआ भौर बगुला, ये दो पक्षी ऐसे हैं जो पक्षी-जगत पी
बाली और गोरी दोना ही जातियों था सही प्रतिनिधित्व करत हैं और भारत में इनकी
समस्या चडी है ।
इसीलिए माशियां वी यह परिभाषा हो तो अधिक ठीक रह--
एव ऐसा ध्यवित जो ऊट की तरह थाता हो, कुत्ते वी तरह सोता हो गधे
मी तरह बाम करता हो, जिसकी घमडी भे से के समान हो, जिसवी चेप्टा कौए जसी हो
गौर जो वगुले जैसा ध्यान लगा सकता हो. उसीको भारतवप के मधरिपद पर आसीन
किया जा सकता है । ऊपर लिखे हुए गुणों के पुरी मात्रा मे पाएं जाने पर यह आयश्यम
नहीं वि' समस मनुष्यता के गुण भी पूरी मात्रा म विद्यमान हो । शक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...