यत्रम तत्रम | Yatram Tatram

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Yatram Tatram by गोपाल प्रसाद व्यास - Gopalprasad Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंत्री ऐसा चाहिए / हे तंरहं संचिंत भोजन मरने वाले मन्त्री उसीदी तरह वलवलाने भी संग जाए । उनकी चमडी ही भंसे की तरह मोटी न हो, अकल भी उसका अनुवरण करने सगे । गदहे थी तरह काम का बोझ उठाने वाले, यदि उसकी तरह दुलत्ती भी झाडने लगे और मुत्ते वी तरह अचक नीद सोने वाले महाशय यदि टूसरों क टुवड़ों पर पलवर अपनी पूछ भी सीधी न होने दें तो गजब हो जाएगा कि नहीं ? फिर भी मन्त्तिया में यदि जानवरा का प्रतिनिधित्व ढूढना हो तो हमारा निवेदन है कि सरबपर मा ध्यान नेवल चौपायों पर ही नही, परिदा पर भी जाना साहिए । इस सम्बंध में वौआ भौर बगुला, ये दो पक्षी ऐसे हैं जो पक्षी-जगत पी बाली और गोरी दोना ही जातियों था सही प्रतिनिधित्व करत हैं और भारत में इनकी समस्या चडी है । इसीलिए माशियां वी यह परिभाषा हो तो अधिक ठीक रह-- एव ऐसा ध्यवित जो ऊट की तरह थाता हो, कुत्ते वी तरह सोता हो गधे मी तरह बाम करता हो, जिसकी घमडी भे से के समान हो, जिसवी चेप्टा कौए जसी हो गौर जो वगुले जैसा ध्यान लगा सकता हो. उसीको भारतवप के मधरिपद पर आसीन किया जा सकता है । ऊपर लिखे हुए गुणों के पुरी मात्रा मे पाएं जाने पर यह आयश्यम नहीं वि' समस मनुष्यता के गुण भी पूरी मात्रा म विद्यमान हो । शक




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