बीजक ग्रन्थ | Beejak Granth
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
1159
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सत्यनाम 1
संगोधकस्याविदनम् ।
नजन्दद्रकधट>ा
अपि मोश्षमारगपथिफाः ! किनभाठोकि भवद्धि: करुणावरुणालयानों
संसाराब्घिनिमय्रजीवोद्धरणे ऊब्रता ना मार्य्यानार्य्यसमात्मतत्वोपदिशकाना प्रातः
स्मूरणीयपूतनाम्ना 'घीराणामाध्यात्मिकवीराणा सदूगुरुकबीराणा पिश्वविशु
तोडय वीजकामिधों अन्य: !
अन दि- ट्वैताद्वेतसमुदुभेदैवीक्यविन्यासवि श्रम: 1
क्रीडन्त्यवुद्धाः शिशवों बोधबुद्धा इसन्ति तान् ॥
तथा--ज्ञाततसवावबोधर्य. .. यथाभूतात्मदर्शिनः 1
डूभेवति छेतैक्य था
बुद्धि: चिन्माघ्ररूपा द्वैतैक््यवर्जिता ॥
इस्यायभियुक्तोत्त दिशा---
अद्वेत॑ समपेक्षते श्रुतिजुपां देते परे सेदकृत्त्,
ट्वैचें दन्द्कर न मोक्षपधिकश्रेयस्कर॑ क्हिचित् ॥
इत्याडोच्य विद्येपठो शुरुवरैर्तत्तदूचचो भिसुंदा;
द्वेतादे्तभिदापसारणपरेस्तत्त्व॑ परे. बर्णितमू ॥
परमततरपस्थ नितें निगूदस्वात्तदी यद्देताद्वेतविनिणेये,
* न विजानामि यदि वेंदमस्पि निण्यः सचनद्धो मनसा चरामि |
यदा मांगन् प्रथपजा फऋनस्पादिद्वाचो अइनुवे मागमस्था: 1!
(कं. सं. राशर१२ )
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