पर्युषण व्याख्यानमाला | Paryushan Vyakhyanmala
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पर्युषण-व्याख्यानमालठा किस छिए
बढ रुप सा
इस व्याख्यानमाला का उद्देश्य गुरु-पद प्राप्त करने या किसी
के वास्तविक शुरु-पद का ,विनाश करने का नहीं है। उसी
तरह इसका उद्देश्य पूजा-प्रतिष्ठा प्राप्त करने या अथ-प्राप्ति करने
कामभी नहीं है। जोलोग श्रद्धालु हैं, और आदर-सक्ति से
पयुंषण की चलती परम्परा मे रस लेते हैं, उन्हें क्रिया-काण्ड
मे से अथवा व्याख्यान-श्रवण से पराड्मुख करने का भी इस
व्याख्यानमाछा का उद्देश्य नहीं है। तब इसका उद्देश्य छया
है, यह प्रश्न होना स्वाभाविक ही है |
आज ऊन्तर्रा्ट्रीय सम्बन्ध को दृष्टि से; राष्ट्रीय दृष्टि से
और समाज तथा छुट्म्ब की दृष्टि से कितने ही ऐसे प्रश्न उप-
स्थित हो गये हैं और होते जाते हैं; जो किसी भी तरह विल्कुछ
उपेक्षणीय नहीं हैं और 'उनका धमें के साथ कोई भी सम्बन्ध न
हो; ऐसी भी बात नहीं है। इसलिए व्यावहारिक तथा धार्मिक
दृष्टि से उन प्रश्नों की चर्चा करना जरूरी है। दुसरों की जरा भी
परवाह किये बिना अपना तंत्र चछाने वाले किसी एकाकी पूजीपति
जेन व्यापारी को कोई राष्ट्र-सेवक जा कर नम्र शब्दों से कहे कि
“आप स्वदेशी कपड़े पहुनिए । और कोई वाधा न हो; तो
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