सूर्य साहित्य पार्ट - १ | Surya Sahitya Part-1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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उमेश मुनि - Umesh Muni
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सूर्य मुनि - Surya Muni
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अम्तर् वैश्नव [१ चे२०]
(क्रम की समझ--)
अहृष्ट दिव्वास, (१ से ६)
(१) नियति, (२) कर्मफल, (दे-४) पापोदय, (५) पुण्योदय,
(६) कर्मफल-विकवास,
शाव-चरण (७ से २३)
(७) आत्म-विस्मृति, अज्ञान के तीन कारण- (८) जडता,
(९) पूर्व-व्युद्याहिता, (१०) अन्य-मनस्कता, हष्टि के रूप
(११) सम्यग-असम्यग हष्टि, (१२) दृष्टि भेद, (१३) इहलोक
हप्टि, (१४) परलोक दृष्टि, बृद्चियों के रूप-( १५) सदसद् वृत्तियाँ,
(१६) ब्वान वृत्ति, (१७) यशोलिप्सा, (१८) विकृत वृत्ति का
प्रभाव, (१९) ठगवृत्ति, (२०) क्लीवता, (२१) क्षमावृत्ति (२२)
नि स्पृहता, (२३) आत्मजयी
बुद्धिबल (२४ से ३०)
(२४) बुद्धि की प्रधानता, (२५) बुद्धि की जड़ा, (२६-२७)
प्रत्युत्पन्नमति, (२८) सारास्वेषिणी बुद्धि, (२९) परोपकारिणी
बुद्धि, (३०) आत्म-सरक्षिणी बुद्धि ।
[गुद्ध श्रद्धा से भाव-विशुद्धि होती है और भाव-विशुद्धि से बुद्धि-
बल का आविर्भाव होता हैं । शुद्ध-श्रद्धा, भावविशुद्धि और निर्चछ
प्रजा-ये अन्तर् वेभव के तीन रत्न है। ]
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