चिंतन कण | Chintan Kan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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उपाध्याय अमर मुनि - Upadhyay Amar Muni
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उमेश मुनि - Umesh Muni
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand),[1 कृषक जव बीज बोने की तैयारी करता है तो वह भूमि
को सं प्रकार के घास-पात से मुक्त कर ,.लेता है। फिर उसमे
बीज डालता है । उसका यह श्रम एक दिन अपना रग लाता है ।
कृषक ,का जीवन प्रसन्नताओ से भर उठता है, जव उसके घरमे
फसल की पहली खेप पहुँचती है ।
यही बात हमारे जीवन के सम्बन्ध मे भी है। यदि हमें अपनी
उन्तभ्रूमि मे परमानन्द रूप परमात्म भाव का वीज वोना है तो
अपनी मनोभूमि को सवं प्रकार के काषायिक भावो के कटीले
घास-पातं एव क्षाढ-झखाडो से मुक्त करना होगा । साथ ही
परपरागत शब्दो एव सिद्धान्तो से चित्त जितना स्वतत्र होगा,
सत्य क लिए उसके द्वार उतने ही मुक्त हो जाते है 1 केवल मुक्त
चित्त ही मुक्ति की अनुभूति करने मे समयथं हो सकता है। [3
चिस्तन-कण | €
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