विश्व इतिहास की झलक | Vishwa Itihas Ki Jhalak

Book Image : विश्व इतिहास की झलक  - Vishwa Itihas Ki Jhalak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श् स्ख् डर दे पश्चिसी एशिया के साम्राज्य रथ का सस समीप पिंडारी का - हिमानी है; जहाँ अलमोड़े से जाने सें लगभग एक सप्ताह संगता है । जब में छोटा-जितनी तुम हो, उससे भी छोटा--था त्तव मैं एक वार वहाँ गया था । आज भी मुक्े उसकी अच्छी तरह से याद चनी है । इतिहास और भूतकाल को छोड़कर; मैं हिंमानी और पिंडारी की छोर वह गया । सस- मोदक खाने का यद्दी परिणाम होता है । मैं यथासंभव छुमसे ऐसे ढंग से वातें करना चाहता हूँ, सानो; तुम यहाँ पर मी जूद हो । यदि में इस तरह से वातें करूँगा तो निश्चित रूप से हमें कभी -केसी हिंमानी ओर ऐसी दूसरी जगहों की सैर के लिए जाना पड़ेगा । ः हिम-युग के प्रसंग से हिमानी की वात उठ. खड़ी हुई थी । हम यह कह सकते हैं कि हिमानी मध्य योरप और इंग्लैंड तक झा गए थे; क्योंकि उनके विचित्र चिह अब तक उन देशों में हमें मिलते हैं । वे पुरानी चट्टानों पर अंकित हैं । इससे यह -अनुमान होता है कि उस युग में सारे मध्य और उत्तरीय योरप में वेहद ठंड रही होगी । कालांतर में वे स्थान ज्यादा गर्म हो गए; और हिंमानी धीरे-घीरे खिसकने लगे । भूगभं-शास्त्र के ज्ञाता; वे लोग जा प्थ्वी के इतिहास का अनुशीलन करते हैं; हमें बताते हैं कि शीत के बाद उप्णता हुई । उस समय, आजकल को देखते हुए+-योरप और भी अधिक गर्म था । इसी गर्मी के कारण; योरप .में सब जगह घने जंगल-हो गाए । डर पहुँचे बन आर्य लोग घूमते-घामते मध्य-योरप भी जा पहुँचे । इस युग में वहाँ उन्होंने कोई उल्लेखनीय काम चहीं किया । अतएब, कुछ समय के लिए हम उनंकी उपेक्षा कर सकते हैं । शप्रीस और भूमध्यसागर के सभ्य निवासियों की दृष्टि में संभवत: सध्य और उत्तरीय - योरप के_'लोग _ बबेर--थे-1-लेकिन-ये-वर्मर जातियाँ अपने जंगलों और आमों में स्वस्थ 'और थोद्धाओं का-सा जीवन व्यतीत करती श्औौर अपने को उस दिंनें के लिए छज्ञातरूपं से तैयार कर रही थीं; जथ वे वाज़ की त्तरदद दक्षिण के सुसभ्य निवासियों पर टूट कर इनकी शासन-प्रणालियों को उलट देंगी । लेकिन ये वातें बहुत वाद में हुई । उनके संवंध में पदले से' लिखने की कुछ आवश्यकता नहीं । हक यदि हमें उत्तरीय योरप के विषय में छुछ नहीं के वरावर मालूम है तो बड़े-बड़े महांद्वीपों ब्औौर विस्टत भू-भागों की वावत तो हमें विलकुल ही कुछ ज्ञान नहीं है। कहा जाता है; कोलं- चस ते अमेरिका को ढँढ निकाला; लेकिन इसका यह अथे नहीं है--जैसा अब हमें पता लगता जा रहा हे--कि वहाँ कोलंवस से पहले लोग _ रहते ही न थे । लेकिन, कारण कुछ भी दो; हम जिस युग का जिक्र कर रहे हैं, उस युग के असेरिका का हमें कुछ शान नहीं है । इसी तरह से अफ़का महाद्वीप के सम्बन्ध में भी हमें कुछ नहीं सालम । हाँ, इस कथन से मिस्र और भूमध्यसागर के तटों को निकाल देना चाहिए । इस जमाने में शायद मिस्र की वैभव- शालिनी और पुरातन सभ्यता अधोगति को पहुँच चुको थी । लेकिन फिर भी वह उन दिनों में एक बहुत समुन्नत देश था । . हर __ छव हमें देखना है कि एशिया में उन _ दिनों कया हो रहा था ? यहाँ पर; जैसा तुम जानती हि सरर९ झा श्र रस: रद, २९२३९ ला रन रू नर रस अर क नरम ये, पक: सर रु रन प्ह 5 ३२४ सर पा 1. टन न्न्फै सै: से के. पद हि किक 23७८-९४: श्र सर रू रु रर्र३२४: श्३९ हरा पर ३०४३४: कि दर उपर ा ः झ, ४ ना ९. ३४ ७३४ सह रे कि रे रपट तीन कु 3 की चीस हो; मुचीन, सभ्यता के तीन केन्द्र थे--इराक्; भारत. .ओर चीन | डर रे, रु पु हल कि रे कि ्त कं सुहुन्सस्तपलासपसपरपपरससररररप्सरशररसप्लरुद्ुवितररससपतरररूतस्दूद च




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now