हिरोल | Hirol
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
46
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( है७ )
दगो--बच्चा होनेवालाहै। जाओ, अररकालकेलिए बाहर
'चलेजाओं । दर)
(बल्लादिका बाहर प्रस्थान। अचल अपने दुपट को मंदिर के
द्वारपर परदेके समान लपेटकर बाहर जाताहै 1)
अचल--ाज इस महान विपत्तिमें जिस शिशुका जन्म हो
रहाहै. उसीपर हमारी भविष्यकी आशाएं तिभरहे ।
दुगो--( अन्दरस ) बालक हागया |
बल्ल--घ्राता !' इस बालकका नाम ' आशा * रखो । मगवान
करे एक दिन यह बालक बप्पा रावल आर संपघ्रामसिंद-सा पराक्रमी
हाकर हमारी आशा्योंका सफल करे । चला, अन्दर चले |
(सबका अन्दर प्रवेश )
दृश्य - ४
स्थान-रेवीक्षेत्र, रणग्रांगण
बीरराय--आज वीरगण / रणपब्रांगणुमें मांकी लाज बचानीहै।
देश-घमके शत्रजनोंके शवकी सेज सजानीहै ॥ . :;
आज जगतको हिन्दजातिका विक्रम-शौोय दिखाना है ।
_..... अत्याचारी.दानवगणकों समुचित पाठ पढ़ानाहै ॥.
कणुराय--बढ़ो वीरगण / बढ़ो वीरयण / सूनीसा अरेदल कादो |
रुरडसुरड्से श्र जनोंके गिरि-कन्दर-घाटी पाटो ॥
माठ्मूमिके रजकण-कणशको यवन-रुधिरसे घोडालो ।
बढ़ो वीरगण / असरयश रचो सृत्यु-मीतिको खोडालो ॥।
कबिंराय--लक्ष-लक्ष हिन्दूजन अपने देश हित मरे कटकटकर |
.... लक्ष-लक्ष हिन्दू अवलाएं सिटी अरिनमें जलजलकर ॥।
उनके यह बलिदान न हूंवें व्यथ. तुम्हारे तन रहते
शन्रजनांकी आश न फूलें वीरो / तन-जीवन रहते ॥।
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