प्रारंभिक रचनाएँ भाग - १ | Praarambhik Rachnaaen Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मगलारभन प्रियतम, मैंने बनने को तेरी सुंदर श्रीवा का हार, ललित बहिन-सी कलियाँ छोड़ीं, भाई-से.... पल्लल.... सुकुमार, साथ-खेलते. फूल, खेलती- हा हि साथ तितलियाँ विविध प्रकार, गोद-खेलाते हुए... पिता-से पौचे का मद स्नेह अपार, मात्य-सी प्यारी क्यारी का सहज सलोना, 'सरल डुलार, बाल्य-सुलभ-चांचल्य चपलता छोड़ी, बँधी नियम के तार, छोड़ा निज... क्रीड़ाशुभस्थली शुभ्न वाटिका का. घर-द्वार; 'प्रियतम, बतला दे झाकर्षषक है क्यों इतना तेरा प्यार ! सार प० २




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