परमात्मप्रकाश प्रवचन भाग - 6 | Paramatmaprakash Pravachan Bhag - 6

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Paramatmaprakash Pravachan Bhag - 6  by श्री मत्सहजानन्द - Shri Matsahajanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दोहा ३९ ११ नहीं हो. पाती हैं। कौनसा विषय ऐसा है कि जिस ब्रिपयसे शाति भोगी जाती हो ? विषयोंसे आकुलताए ही हैं; श्रोभ ही होता है. शोर विषय भोगने के बाद भी 'ाकुल़ताए हैं. सर्वत्र झाकुलताएं हैं. तो कौनसा सुख ऐसा है जो द्वितकारी हो ” क्वल निर्विकरपस्वरूपसे जो स्वाधीन झानन्दव' उत्पन्न होता है; वही आनन्द एक उपादेय है । / _. ये सुख अं।र दुख दोनों एक समान हैं । सुखक्े चाद दुख आता है आर दुख वाद सुख आता है | सब जगह देख लो। कोई भी दुखी ऐसा, न मिलेगा जो सदा हु खी रहता हो शोर कोई भी जीव ऐसा सुखी न मिलेगा जो निरन्तर सुखी रह सफता दो । सुखके वाद हु ख झाता है और दु खके. वाद सुख आता है । जिसे यह खबर हे कि सुखके।बाद दुख श्ाता है उसे हक सुख भोगनेकी रुचि नहीं रहती है । क्या भोगे इसके वाद क्लेश मिलेंगे । जिसे यह पता है कि दु खरे बाद सुख आता हे ब्रह आकुलित नहीं होता है । आया है दुख तो थोडा गम खाये; विवेकसे काम हु) दु ख सदा नहीं रहा करता | जसे जिसे फासी देनी हो श्रौर फांसीसे पढ़िले उसके सामने मिठाई का थाल् रखा जाय अर उससे कहा जाय कि तुम्हे जो चाहिए सो खावो; जो इच्छा हो वही चीज खाबों तो क्या-बहद खा लेगा? अरे ! उस बेचारेकों तो पता है कि झभी श सिनटका समय रद्द गया हैं फासी मिलेगी) उसे भोजन मे क्या रुचि होगी ? ज्ञानी जीवकों यदद विदित है कि विषय सुखके बाद क्लेश ही झ्याया करते है, झ्ानन्दर नहीं “आता है तो ऐसा बोध होने पर चह विषय सुखमें नद्दी रम सकता हैं । काहेका सुख श्र काहेका हु ख ” ये इन्छाए मिटे तो डु ख भी मिट गया समसिये । क् हर एक वाबा थे चूदे,-सो उसके पोते उसे हेरान करते थे । कोई सिर पर कूदे; कोई बाल सोचे; कोई कान नोचे; कोई छुछ करे । वावा रोते लगा ।, सामनेसे निकला एक साधु वोला? “वावा क्यों रोते हो” ? बाबाने कहा; कि “पोते बड़े खराब पेदा हो गए» सो उनसे हमें दु ख मिलता है 1” साधुने कहा, कि “इस झापका डदुन्ख सिटा दे” ? बह बूढ़ा. समक गया कि यह हमारे पोतोंको_ ऐसा मन्र दे देंगे कि वे हेरान न करेंगे और हाथ जोड़े मेरे सामते खडे रहेंगे । सो कहा; डु ख दूर दो । साधुने कद्दा) कि “इन पोतोंकी ममता छोडो ओर हमारे साथ 'चल दो देखो तुम्हारा दुख मिटता है कि नहीं ?”? तो वह बोला कि “पोते मुझे चाहे जो करें वे पोते ही रहेंगे छोर इस उनके बावा ही रहेंगे । ' तुम तीसरे कौनसे दलाल था गए, जो. विच्छेद लगा रद्द हो).हमें तो इसीमे आनन्द है ।” तो भाई इसीमे तो दुख है। जिनना भी जीबोकों दुःख है वदद ममताका है ! ममता छूटे तो छुख मिट गया । जिस ननटफाय हसपटपरायण कि मय न नयबनयाननस नकगशएएल्‍ल्‍एस्‍।ल्‍ल्‍एएल्‍ए।।एएएएल्‍एल्‍एएएएजटबएसकसनललपअ गाय गस्टन्ागरा “>> न्लय्यः कण ैएएतए।तय नकापल कलर बर्थ फथ




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