वैदिक इंडेक्स ऑफ़ नाम एंड सब्जेक्टस भाग २ | Vedic Index Of Names And Subjects Vol.-ii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुरोहित | (८)... [ पुरो-हित हि स्सिमर * का घिचार है कि राजा स्वयं सी अपने छिये ' पौराहित्य-कर्स कर सकता था, जेंसा कि उस राजा 'विश्वन्तर' के उदाहरण से स्पष्ट है जिसने फयापणों' की सहायता के बिना ही यज्ञ किया था;हे और यह भी कि पुरोहितों का घ्ाह्मण होना लावश्यक नहीं था, जेसा कि देवापि भोर शान्तनु * के उदाहरण से व्यक्त होता है। किन्तु इन दोनों में से कोई भी विचार उपयुक्त नहीं प्रनीत होता । इसका कहीं भी उतलेख नहीं कि चिश्वन्तर ने बिना पुरोहित के ही यक्त किया था, जब कि देवापि को निरुक्त* के पूर्व राजा स्वीकार ही नहीं किया गया है, भौर ऐसा मानने के लिये भी कोई आधार नहीं कि निरुक्त में व्यक्त यारक का यह विचार ठीक ही हे । गेहडनर ४ के अनुसार पुरोहित आरम्भ से ही यन्न-संस्कार के समय सामान्यतया भघीक्षक की भाँति ब्रह्मनूं पुरोहित के रूप में ही कार्य करता था। भपने इस विचार की पुष्टि में आप हन तथ्यों का उद्धरण देते हैं कि वसिंष्ठ का एक पुरोहित ** और एक घ्रह्मन* दोनों ही रूपों में उउलेख हैं : शुनःशेप के यज्ञ में इसने ब्रह्मनू के रूप में कार्य किया था, किन्तु खुदासू का पुरोहित था; *” ज्लइस्पतति को देवों का पुरोहित? और ब्रह्मनूर* दोनों कहा गया है; चसिष्ट-गण, जो पुरोहित हैं, यज्ञ के समय घ्रह्ननू के रूप में भी कार्य करते * आदिटन्डिशे लेबेन १९५, १९६ । | ८ ऋग्वेद ७. ३३, १६। किनन्‍वु इसका *5 ऐतरेय ब्राह्मण ७. २७; मूदर : संस्कृत |... ब्रह्नन्‌ से कुछ अधिक अर्थ मांनमे की टेक्स्ट्स, ५, रडेद, ४४० | | आपवद्यकता नहीं । | है ड न ऋग्वेद १०. ९८ । | ** देतरेय ब्राह्मण ७. १६, १; शाह्ायन पैर. १०॥ हि श्रीत सूत्र १५. २१, ४ भ उ० पु० न रेड रे, श्ण५ तु० मा साज्ञावन श्रौ त सून श६. ११. शे४ । 33 ऋग्वेद २. २४, ९५ ऐतरेय जाह्यण २, १७, २५ सतैत्तिरीय श्राह्मम २. ७, ६, २; चातपथ नाह्मण ५. हे; १; रे ३ चाज्नायन श्रीत सूच, ६४. २३, १1 रे ऋष्बेद १०. ६४९, २; कौपीतकि ब्राह्मण ६. १३; शतपथ ब्राह्मण १. ७, ४, २६ ; शाह्ीयन शीत सूत्र ४. दु, ९३ की ०'पिशल : गो० १८९४, २०; हिलेब्रान्ट : रिचुभल-लिटरेचर, १३ । ऋग्वेद १. ९४, ६, यह सिद्ध नहीं करता कि पुरोहित एक “कऋत्विज” था; इससे केवल इतना ही व्यक्त होता है कि वद्द॒गमपनी इच्छानुसार ऐसा वन सकता थी 1 की * झऋग्वेद १०. १५७०, ५ । (




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