लड़खड़ाती दुनिया | Ladakhadati Duniya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Ladakhadati Duniya by पं. जवाहरलाल नेहरु - Pt. Jawaharlal Nehru

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. जवाहरलाल नेहरु - Pt. Jawaharlal Nehru

Add Infomation About. Pt. Jawaharlal Nehru

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लड़खड़ाती दुनिया शांति भर शाम यह परिषद्‌ 'इंडिया लींग' भ्रौर 'लंदन फेड रेशन श्रॉँव पीस कौंसिल्स' संस्थाश्रों की शरसे शांति श्रौर साम्प्राज्यकी समस्याशध्रोंपर विचार करनेके लिए बुलाई गई है । कांति श्रौर साम्राज्य ! --मूलम ही एक दूसरेके विरोधी दाब्दों श्रौर विचारोंका यह भ्रनोखा मेल है, लेकिन मेरी समझमें उनको इस तरीकेसे एक साथ लाने श्रौर परिषद्‌की झ्रायोजना करनेकी सूझ मज़ेकी' रही । में समझता हूं जबतक हम श्रपने साम्प्राज्यवादी विचारोंको दूर न कर देंगे, तबतक हम इस दुनियामें 'शांति' नहीं पा सकेंगे । इसलिए शांतिकी समस्याका सार साम्प्राज्यकी' समस्या ही है । जबतक साम्प्राज्य फूलते-फलते रहते हे, तबतक ऐसे समय श्रां सकते हे जब कि राष्ट्रोके बीच खुली लड़ाई न हो रहीं हो, लेकिन तब भी शांति नहीं होती, क्योंकि तब भीं संघर्ष श्रौर युद्धकी तैयारियां चलती रहती हें । साम्प्राज्यवादी विरोधी राष्ट्रोंमें, शासन करनेवाली' सत्ता श्रौर शासित जनतामें श्र वर्गोमें संघर्ष तो रहता ही है क्योंकि साम्प्राज्यवादी राष्ट्का श्राधार ही दासित जनताका दमन . श्रौर शोषण है ; इसलिए लाजमी' है कि उसका विरोध भी होगा श्रौर उस शासनको फेंक देनेकी कोशिदा की! जायेंगी । इस बुनियादपर कोई शांति कायम नहीं की जा सकती ।. आप शभ्रौर में फासिस्ट हमलोंके इन दिनोंमें फासिस्ट श्रातंककों रोकनेके लिए अक्सर कुछ-न-कुछ करते रहते हें, लेकिन हमेशा साम्प्राज्यवादी विचारोंको भी रोकनेके लिए ऐसा नहीं करते । बहुतसे लोग दोनोंमें फर्क ढूंढ़नेकी कोशिश किया करते हें । वे साम्ाज्यवादी विचारकों बहुत प्रच्छा तो नहीं समझते;




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now