साकेत विचार और विश्लेषण | Saket Vichar Aur Vishleshan

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Saket Vichar Aur Vishleshan by डॉ. वचनदेव कुमार - Dr. Vachandev Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रामकाव्य-परंपरा में साकेत का स्थान | १४५ ता दिन कथा कीन्ह भनुमाना । शाह सलेम दिलीपति थाना ॥ आदि पुरुष वरनो केहिं भाँती । चाँद सुरज कहे दिवस न राती ॥ हृदयराम ने सं० १६०० में 'भाषा हनुमन्नाटक' की रचना की । इसकी भाषा परिमाजित ब्रजभाषा है। नाटक में भी दोष कम है! काव्य-चमत्कार, सौन्दर्य इन्होंने अच्छा प्रदर्शित किया है । सस्कृत में इसी शीर्षक का नाटक गद्य-पद्य दोनों में है पर यह केवल पद्य में हू । इसमे कवित्त-सवैयों का व्यवहार हुआ है । इसी समय रायमल्ल पाण्डे ने “हनतुमच्चरित' लिखा जो काव्य की दृष्टि से महत्त्व नहीं रखता । गोस्वामी तुलसीदास का प्रकाश कुछ ऐसा छाया रहा और इतना व्यापक वर्णन वे कर गये कि परवर्ती सामान्य कवियों के लिए कुछ रहा ही नहीं । असल में “सुरसागर' की भाँति “रामचरितमानस' भी किसी पुर्व-परंपरा का--चाहे वह मौखिक ही रही हो--पुर्ण विकास मालूम पड़ता है । क्योकि एका- एक इतनी प्रौढ़ रचना, वह भी सर्वप्रथम बिना परंपरा के कठिन ही होती है चाहे कवि कितना ही “नाना पुराणनिगमसागम सम्मत”' बयों न हो । रामकथा की दृष्टि से केशवदास की 'रामचन्द्रिका” महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है । कुछ मालोचक तो गाज भी उसके कला-सौन्दर्य पर मुग्च हैं । केशव को प्रेरणा वाल्मीकि से मिली । अतः वाल्मीकि रामायण का प्रभाव तो पड़ा ही, मन्य संस्कृत रचनामों- प्रसन्नराघव, हनुमन्नाटक, अनघ राघव, कादम्बरी, नेषघीय चरित भादि का भी प्रभाव है। सस्कृत के तो वे पण्डित ही थे । “रामचन्द्रिका' ३९ प्रकाशों में विभक्त है। एक प्रकाश में एक प्रसंग हूं। इसमें घटनाओं का पारस्परिक संबंध मालूम नही होता । बीच में आक- स्मिक रूप में कथा-प्रवाह॑ बदल दिया गया है । राम-परशुराम के संघर्ष में तो स्वयं शिव भगवान को आना पड़ा है । केशव ने प्रायः रामकथा की बड़ी-बड़ी घट- नाओ को स्थान दिया हैं । दृश्य वर्णनों में वे अलंकारों एवं क्लिष्ट कल्पना की भोर बढ़ गए है । पंचवटी की तुलना धूजंटी से की तो नदी के वर्णन मे श्लेष से चिपक गए-- विषमय यह गोदवरी अमृतन को फल देति, केशव जीवन हार कौ दुख अशेष हर लेति । शरद ऋतु को वृद्धा दासी बना दिया है तो उन्होंने सुर्य की उपमा लाल मुख वाले बन्दर से दे डाली है । फिर भी उन्हें हृदयहीन नहीं माना जा सकता क्योंकि




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