चम्पा शतक | Champa Shatak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चाल-रेखता
५ भरे)
श्री जिनराज की भूरति लक्ष झपना दिखाती है।
जगत के लक्ष सब तज के, निजातम लौ लगाती है ॥
।। टेक ॥।
इसी से वास वन लीना, पदम श्रासन श्रचल कीना ।
निजातम देखने को दृष्टि नासा थिर सुहाती हू ॥
श्री जिनराज०॥ १ ॥
किसी का लक्ष है तन घन, किसी का लक्ष है सज्जन ।
किसी का लक्ष विसनो में किसी को नारि भाती है ॥
श्री जिनराज० ॥ २॥।
जिन्हों का लक्ष जैसा है, उन्हों का काज वैसा है ।
लगाओओ प्रीति श्रातम से, तुम्हारे काम श्रातती है ॥
शी जिनराज० ॥ दे ॥
बनावो लक्ष चेतन का, विचारों शाति छवि जिनकी ।
इसी से सिद्ध झातम की जु “चम्पा' को सुहाती है ।
श्री जिनराज० ॥ ४ ॥
है
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