समयसार | Samayasaar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१) घेदिचु सब्वसिद्ध धुवमचलमणोवम गई पत्ते चोच्छापि समयपाहुडपिणमों सुयकेवलीमाणियं ॥। '्याचाय कहते हैं; में भ्रूव अयल 'र अनुपम इन तीन विशेषशोकरर युक्त गनीकों प्राप्त हुए ऐसे सब्र सिद्धोंकों नमस्कार कर हे भत्यों श्रूतफेयलियोंकर के हुए इस समयसार नामा म्राभ्नत को की कह्दूंगा ।




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