तेरहवीं से पंद्रहवीं शताब्दी ईसवी के प्रमुख संस्कृत महाकाव्यों में चित्रित भारतीय समाज और संस्कृति एक अध्ययन | Terahavin Se Pandrawahin Shatabdi Isavi Ke Pramukh Sanskrit Mahakavyon Men Chitrit Bharatiy Samaj Aur Sanskriti Ek Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
282
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| 10]
था। जनता मुस्लिम होने पर भी पुरातन परम्परा से बिल्कुल बाहर नहीं निकल
सकी थी |
पववा -
स्मृतियो ने मनुष्य के जनम से मृत्यु पर्यन्त के विकास क्रम को
संस्कारों से बाध रखा है। उसके प्रत्येक विकास के चरण को विभिन्न
संस्कारों मे विभाजित किया है। इन्ही मे से एक प्रमुख सस्कार है विवाह।
स्मृतियो के द्वारा प्रतिपादित 46 सस्कारों में विवाह, सस्कार
अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। ' पूर्व वैदिक व तदनन्तर काल मे
स्त्री व पुरुष किसी बधन मे न रहकर अपनी यौन इच्छाओ की पूर्ति के लिए
स्वच्छद व्यवहार करते थे। स्त्रियाँ एक व अनेक पुरुषों के साथ अपने संबंध
स्थापित करती थी । इसका विरोध श्वेतकेतु ने किया व नियम बनाया कि जो
भी पुरुष या स्त्री अपने संयम से डगमगाएगा दण्ड का भागी होगा। परन्तु
आधुनिक लेखको ने इसका विरोध किया है।'
अल्बरुनी के अनुसार विवाह कामजन्य संवेग के शमन का सुसभ्य
उपाय है।
“समाज की प्रमुख इकाई परिवार के अभ्युदय व विकास जिस
सस्कार पर निर्भर है व संस्कार है विवाह ।”
1 महाभारत आदि पर्व (81-37-38)
2मैरिज पास्ट एण्ड प्रेजेंट (पृष्ठ-10)
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