तेहरवी से पन्द्रहवी शताब्दी ईसवी के प्रमुख संस्कृत महाकाव्यों में चित्रित भारतीय समाज और संस्कृति-एक अध्ययन | 13 se 15 Shatabdi Iswi Ke Pramookh Sanskrit Mahakavyon Mein Chitrit Bhartiya Samaaj Aur Sanskriti-Ek Adhyyan

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13 se 15 Shatabdi Iswi Ke Pramookh Sanskrit Mahakavyon Mein Chitrit Bhartiya Samaaj Aur Sanskriti-Ek Adhyyan by ज्ञानदेवी श्रीवास्तव - Gyandevi Shreevastav

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शशिबाला - Shashibala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[10 ] था। जनता मुस्लिम होने पर भी पुरातन परम्परा से बिल्कुल बाहर नही निकल सकी थी। विवाह स्मृतियो ने मनुष्य के जन्म से मृत्यु पर्यन्त के विकास क्रम को सस्कारो से बाध रखा है। उसके प्रत्येक विकास के चरण को विभिन्न सस्कारो मे विभाजित किया है। इन्हीमे से एक प्रमुख सस्कार है विवाह | स्मृत्तियो के द्वारा प्रतिपादित 16 सस्कारो मे विवाह, सस्कार अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है । † पूर्वं वैदिक व तदनन्तर काल मे स्त्री व पुरुष किसी बधन मे न रहकर अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए स्वच्छद व्यवहार करते थे | सतर्यो एक व॒ अनेक पुरुषो के साथ अपने सबध स्थापित करती थी । इसका विरोध श्वेतकेतु ने किया व नियम बनाया कि जो भी पुरुष या स्त्री अपने सयम से उगमगाएगा दण्ड का भागी होगा। परन्तु आधुनिक लेखको ने इसका विरोध किया है। * अल्बरुनी के अनुसार विवाह कामजन्य सवेग के शमन का सुसभ्य उपाय है। “समाज की प्रमुख इकाई परिवार के अभ्युदय व विकास जिस सस्कार पर निर्भर है व सस्कार है विवाह |” 1 महाभारत आदि पर्वं (31-37-38) 2 मैरिज पास्ट एण्ड प्रेजेट (पृष्ठ-10)




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