मिस्टर चर्चिल | Mistar Charcharl

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Book Image : मिस्टर चर्चिल  - Mistar Charcharl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मिस्टर चाचिल १७ 'सेंधर्स्ट' के सेनिक स्कूल में भेजे गये । ब्रिटेन में सैनिक शिक्षा का 'सेंघस्टे' सबसे. बड़ा केन्द्र समभका जाता है । 'सेंवस्ट' की दुनिया ही निराली थी । यहाँ चचिल को अपनी इच्छा के अनुकूल काम मिल गया। ये वरष॑ उनके लिए शिक्षा-कार्य तथा व्यस्तता के थे। यहाँ पुस्तकों की व्यथे रटाई नहीं थी । युवक चचिल को अपना समय व्यर्थ जाता हुआ न जान पड़ता और न वे यहीं समभते थे कि वे संसार के उन प्राणियों में से हैं जिनका अस्तित्व ही व्यर्थ हैं। लेटिन और ग्रीक के शब्दों को बेकार रटने के स्थान में चचिल को अब जो कुछ करना पड़ता उसमें उन्हें उपयोगिता दिखाई पड़ती । उन्हें अब “'टेक्टिक्स' क्रिलेबन्दी, सैनिक-क़ानून और सैनिक-नियंत्रण आदि विषयों की शिक्षा दी जाती । चर्चिल को साहसपूर्ण खेल अधिक पसन्द थे। स्कूल के खेलों में उन्हें तनिक भी आनन्द न आता । वे चाहते थे घुड़सवारी, जिमनास्टिक ऐसे खेल और वे उन्हें सैनिक-स्कूल में ही प्राप्त हो सकते थे। उस समय सैनिक-शिक्षा आज की युद्ध-पद्धति को देखते हुए अधूरी कहीं जा सकती है। आधुनिक युद्ध में बम और हवाई जहाज़ों का स्थान सर्वोपरि है परन्तु उस समय बम का प्रयोग युद्ध में करने की प्रथा नहीं थी । वायुयानों का तो युद्ध में कोई स्थान ही नहीं था। यही कारण है कि यूवक विस्टन को बम आदि की ट्रेनिंग नहीं दी गई। फिर भी इससे उन्हें आगे चलकर कठिनाई नहीं पड़ी । 'सेंधस्टं' का शिक्षाक्रम सन्‌ १८९४ में समाप्त हो गया । युवक विस्टन के सम्मुख आशाजनक भविष्य था। उनके साथ १५० अन्य विद्यार्थी थे। इनसें विस्टन का नम्बर आठवाँ था। उसी वर्ष माचें के महीने में विस्टन चचिल ने 'फ़ोथें हशर्स' में प्रवेश किया । इस प्रकार चर्चिल की मनोकामना पूरी हुई। शेशव का वह स्वप्न सच करने की आशा लेकर उन्होंने जीवन में प्रवेश किया और भविष्य ने उनकी वह महत्त्वाकांक्षा पुरी भी कर दी।




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