महाकवि ब्रजेश | Mahakavi Brajesh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कृष्णचन्द्र वर्मा - Krishnachandra Verma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्री महोसुखराम जी क पुत्र श्री महापात्र शीतल प्रसाद जी 'शीतलेश' हुए
जिन्होंने 'गुलाव गौरव नामक ग्रथ लिखा | इसी पुम्तक का दूसरा नाम गुलाब प्रकाश
भी हैं । ये ब्रजधाषा साहित्य के पूर्ण पड़ित थे तथा महागज व्यक्टरमण सिंह
और महाराज गुलाबसिह दोनों की सभा के राजकवि रहे ! इनकी रचना के उदाहरण
इस प्रकार है ,-
पारावार है न उपहान दारे पारावार
बाजि के सवार केते पैदर गमन के ।
पसर पसारे पंखुरन पसारे सदा
अवसर प्यारे बंधवेश जू के मन के ॥)
कवि शीतलेश कसे क्रमर समर बारे
आज मैं अमर खल दल के दमन के ।
सनु बिन मारे जे ने पलटन बारे ऐसे
पत्लटन बारे वीर व्यंकट रमन के ॥।
महाराज धन्य आज वीर व्यंकट सैन
जाके सम कौन रणधीर जग जायों है ।
सुयश अपंह कवि शीतल महीतल मैं
चार ओर चंट के समान छवि छायो है ॥
मारि मारि केते खलबुंदन चेंदखन सों
हरिहर छेत्र मैं अनेद अधिकायों है ।
ज्यों गोबिंद ग्राह तै गर्यद्हि छुड़ायों
बॉंधचेश त्यों कमाइन तै गाइन बचायों हैं !।
श्री शीतल प्रसाद जी शीतलेश' के पुत्र महाकवि ब्रजेश जी हुए । ब्रजेश जी
का जन्म स पैदश८ माघ शुक्ला तीज को रीवा नगर के समीप ही सिलपरी नामके ग्राम
में हुआ । अपने पिता श्री शीतलेश प्रसाद जी से इन्होंने दस व्य से छब्बीस वर्ष की
आयु तक काव्य शास्र का अध्ययन अल्यत परिश्रमपूर्वक किया । दस वर्ष से लेकर बीस
वर्ष की आयु तक इन्होंने १५ ग्रथ कठाय़ कर लिए थे जिनमे से १४ ग्रथ ब्रजभाषा के
थे और ४ प्रथ सस्कुतत के । भाषा के ग्रथ ये अपने पिताजी से पढ़ा करते थे तथा सस्कृत
के ग्रथ मिपनियों के प्रसिद्ध पाइित गौरीशरर जी से परन्तु इन्हे शाख्रार्थ में सतोष नहीं
होता था, संकोच करना पड़ता था अत, घर से बाहर निकलकर छा: वर्ष तक हिन्दुस्तान
संहाकवरि ब्रजेश 7
अकेली
डिनर दि प५क:2ढ...ंध दिन कि के जा जन
User Reviews
No Reviews | Add Yours...