श्री जैन सुबोध रत्नावली | Shri Jain, Subodh Ratnavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५)
सुच्रकी वाणी सुणकर जोर छगाया ।
करी पचरंगी प्रमुख तपरया भाया ।
६ ढ हल #»_ ७ ॥९
कहे 'ह[रालाल' दया 'घम मोक्षकी सेरी ॥ठुम॥९॥
फनकलालिाााााला,
प श्री महावीर श्वामीका स्तवन ॥ महाड राग ॥
खुर्रंगना गावे मज्ञलाचार, दैवांगना गावे
मज्ञालाचार ॥ मां ॥
उध अधोगति थकीरे । तिथेकर पद पाय ॥
जननी स्वप्ता देखिया कांइ । दिग वेण दोनें
मिलाय ॥ सु ॥ १ ॥
उप्पन कुंवारी सब सिणगारी । गावे मिल गीत ॥
राति करे आप आपणी कांइ । प्र्ण प्रभकी
प्रीति॥सु॥र॥
इन्द्र इन्द्ाणी आवियारे । नर नार्याका इंद ॥
जन्म भवने जिनसाजकों । और जननी को-
नमत आनन्द ॥ सु0 ३ ॥
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